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नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा: फिर भी जीनोम सीक्वेसिंग के लिए छत्तीसगढ़ दूसरे राज्य पर निर्भर

locationरायपुरPublished: Dec 04, 2021 12:07:11 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

तीसरी लहर की संभावना के बीच भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर हलचल तेज है। लेकिन, क्या यह वैरिएंट प्रदेश में भी मौजूद है, इसका पता लगाने के लिए छत्तीसगढ़ को दूसरे राज्य पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

18 new corona positives were found in Jaipur district today

नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा: फिर भी जीनोम सीक्वेसिंग के लिए छत्तीसगढ़ दूसरे राज्य पर निर्भर

रायपुर. छत्तीसगढ़ में कोरोना की दो लहरों ने जमकर तबाही मचाई है। तीसरी लहर (Third Wave of Coronavirus) की संभावना के बीच भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Corona new variant Omicron) को लेकर हलचल तेज है। प्रदेश को भी खतरा हो सकता है, इसलिए केंद्र सरकार की ओर से अलर्ट भेजा गया है।
लेकिन, क्या यह वैरिएंट प्रदेश में भी मौजूद है, इसका पता लगाने के लिए छत्तीसगढ़ को दूसरे राज्य पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हर माह पंद्रह-पंद्रह दिन के अंतराल में कुल कोरोना सैंपल के 5 से 15 प्रतिशत तक सैंपल नए वैरिएंट की जांच के लिए आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में भेजा जाता है, जहां से रिपोर्ट आने में काफी दिन लगते हैं।
एम्स में जीनोम सीक्वेसिंग के लिए लैब उपलब्ध है, लेकिन आईसीएमएमआर से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से जांच शुरू नहीं हो पा रही है। कोरोना वायरस के स्वरूपों की पहचान करने के लिए मेडिकल कॉलेज की तरफ से भी जीनोम सीक्वेसिंग मशीन व लैब के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।
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रायपुर एम्स के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने कहा, किसी वायरस के बदलते स्वरूप की पहचान जीनोम सीक्वेसिंग से होती है। एम्स में लैब समेत सारी सुविधा उपलब्ध है और जांच के लिए तैयार हैं। कोरोना की कोई भी जांच आईसीएमआर कीगाइडलाइन के अनुसार होती है।
रायपुर मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निकिता शेरवानी ने कहा, मेडिकल कॉलेज में लैब के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। लैब में थोड़ा सिविल वर्क बचा हुआ है, जिसको पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से पूरा किया जा रहा है। जीनोम सीक्वेसिंग के लिए साइंटिस्ट हैं और हम जांच के लिए तैयार हैं।
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता डॉ. सुभाष मिश्रा ने कहा, प्रदेश में जीनोम सीक्वेसिंग होने से निश्चित रूप से फायदा होता। वर्तमान में जांच के लिए सैंपल विशाखापट्टनम भेजा जा रहा है। एम्स में लैब उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ कारणों की वजह से शुरू नही हो पा रहा है।
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यह है जीनोम सीक्वेसिंग
कोरोना वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। ऐसे में वायरस के बदलते स्वरूप की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेसिंग जांच जरूरी होती है।

जांच शुरू होने से यह होगा फायदा
1. नए वैरिएंट की जल्द मिलती जानकारी, जिससे राज्य शासन को तैयारियों में मिलती मदद।
2. जीनोम सीक्वेसिंग जांच के लिए दूसरे राज्य पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
3. राज्य शासन को वैरिएंट के असर को रोकने के लिए मिलता पर्याप्त समय।

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