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काले पानी पर जिन्दा है विकास की भूख, मतदान के लिए 36 किमी पैदल जाएंगे कमार आदिवासी

locationरायपुरPublished: Nov 09, 2018 05:30:01 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

चुनावी बिगुल बज चुका है, लेकिन इन ग्रामों में सन्नाटा पसरा हुआ है। चुनाव सरगर्मी से काफी दूर छत्तीसगढ़ के इन ग्रामों में चुनाव की हलचल नहीं दिखाई दे रही है।

CG Election 2018

काले पानी पर जिन्दा है विकास की भूख, मतदान के लिए 36 किमी पैदल जाएंगे कमार आदिवासी

रायपुर. पहाड़ी पर बसे कमार ग्रामों के सैकड़ों कमार आदिवासियों को आजादी के 70 साल बाद भी मतदान करने 36 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। लेकिन नई सरकार से उम्मीद बांधे हर पांच साल में ईमानदारी के साथ लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। आज भी इन कमार ग्रामों के लोग पेयजल, सडक़, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। पढ़िए मैनपुर से रूपेश साहू की ग्राउंड रिपोर्ट।
तहसील मुख्यालय मैनपुर से 18 किमी दूर ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट कमार बाहुल्य ग्राम है और कमार जनजाति विशेष पिछड़ी जनजाति है जिनके विकास और उत्थान के लिए शासन प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है। कुल्हाड़ीघाट ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम ताराझर, कुर्वापानी, भालुडिग्गी, मटाल इन ग्रामों में पहुंचने के लिए सडक़ की व्यवस्था नहीं है।
आज भी कमार जनजाति के लोग बड़े-बड़े चट्टानों, खाइयों, गढ्ढों, पेड़ों के सहारे इन ग्रामों में पहुंचते हैं। इन ग्रामों के लोगों को चुनाव में मतदान करने पैदल कुल्हाड़ीघाट आना पड़ता है, क्योंकि मतदान केंद्र कुल्हाड़ीघाट में है। ग्रामीणों को घना दुर्गम रास्ता होने के कारण एक दिन पहले ही आना पड़ता है। इन ग्रामों में 210 मतदाता हैं। चुनावी बिगुल बज चुका है, लेकिन इन ग्रामों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
चुनाव सरगर्मी से काफी दूर इन ग्रामों में चुनाव की हलचल नहीं दिखाई दे रही है।
ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के सरपंच बनसिंग सोरी ने बताया कुल्हाड़ीघाट से 19 किमी दूर पहाड़ी पर ग्राम कुर्वापानी, 18 किमी दूर ताराझर, 10 किमी दूर भालुडिग्गी, 15 किमी दूर पहाड़ी पर ग्राम मटाल है। इन ग्रामों के सैकड़ों कमार आदिवासियों को मतदान के लिए पैदल कुल्हाड़ीघाट आना पड़ता है और पूरे ग्रामीण दो दिनों तक अपने सभी कामकाज को बंद रखकर आते हैं। दूरी अधिक होने और दुर्गम रास्ता होने के कारण उन्हें एक दिन पहले कुल्हाड़ीघाट आना पड़ता है। रात बिताने के बाद सुबह मतदान कर वे वापस लौटते हैं।
ग्रामीणों को पैदल आना-जाना 36 से 40 किमी पड़ता है। ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट की कुल मतदाता 875 के आसपास है। ताराझर, कुर्वापानी के ग्रामीण सुकदेव कमार, दशरथ राम, रमीन बाई, दीवान राम, मनराखन कमार ने बताया कि उनके गांव तक पहुंचने के लिए कोई सडक़ नहीं है, कभी कोई बड़े अधिकारी और नेता नहीं आते और तो और चुनाव में कोई भी दल के प्रत्याशी वोट मांगने तक नहीं आते।
उन्हें ग्राम पंचायत के द्वारा चुनाव की तारीख बताई जाती है और हर वर्ष पूरे ग्रामीण मतदान करने कुल्हाड़ीघाट पहुंचते हैं। ग्रामीणों ने बताया हमारे इन ग्रामों में चुनाव प्रचार के लिए अब तक 30-40 वर्षों में कोई नहीं पहुंचा, लेकिन मतदान करना उनका अधिकारी है, इसलिए वे आते हैं।

खच्चर बना जिन्दगी का आधार
ग्रामीणों ने बताया कि हर माह सबसे ज्यादा परेशानी राशन सामग्री को लेकर होती है, क्योंकि राशन, चावल-दाल मिट्टी तेल लेने उन्हें पैदल कुल्हाड़ीघाट आना पड़ता है और इसके लिए ग्रामीण खच्चर पाल रखे हैं। खच्चर पर सामान लाद कर उन्हें घर तक ले जाते हैं। स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है। गांव में बिजली नहीं है, सौर ऊर्जा प्लेट लगाया गया था, जिसकी स्थिति जीर्णशीर्ण हो चुकी है।

ग्रामीणों के अनुसार सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें पेयजल को लेकर होती है। अभी तो नदी नालों के पानी से गुजारा चल जाता है, लेकिन गर्मी के दिनों में झरिया खोदने के बाद भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता और तो और उन्हें अपने पालतू मवेशियों को पहाड़ी के नीचे लाकर दूसरे के घर रखते हैं।

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