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पुन्नी मेला में श्रद्धालुओं को मिल रही कोसा उत्पादन की जानकारी

locationरायपुरPublished: Feb 14, 2020 04:56:09 pm

Submitted by:

Gulal Verma

तितली के अंडे से प्राप्त होता है कोसा

पुन्नी मेला में श्रद्धालुओं को मिल रही कोसा उत्पादन की जानकारी

पुन्नी मेला में श्रद्धालुओं को मिल रही कोसा उत्पादन की जानकारी

नवापारा राजिम। माघी पुन्नी मेला में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने और जानकारी देने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल लगाया है। ग्रामोद्योग रेशम प्रभाग विभाग द्वारा लगाए गए स्टॉल में कोसा के बारे में जानकारी दी जा रही है। रेशम प्रभार के नोडल अधिकारी एडीएस कोहलेकर, जीपी शर्मा के साथ किरवई के किसान गोविंद साहू और भेखराम साहू श्रद्धालुओं को कोसा उत्पादन की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
कोसा कृषक गोविंद साहू ने बताया कि सीएसबी या बीएसएमटीसी से तितली का अंडा प्राप्त होता है। इस अंडे को ट्रे में रखकर प्राकृृतिक तरीके से प्रजनन कराके लार्वा यानी एक छोटा सा कृमि प्राप्त करते है। इस कृमि को हम कहवाए, साजा, सरई, साल के वृक्ष के पत्तों में कृमि को डाल देते है। ये कृमि पत्ते को खाकर कीड़े बन जाते हैं। वे कीड़े अपने लार के माध्यम अपने चारों ओर आवरण तैयार करते जाते हैं। ऐसी स्थिति आती है कि उस आवरण के अन्दर बंद हो जाता है। इस तरह से प्राप्त फल कोसा कहलाता है। कोसा के अन्दर बंद कीड़ा प्यूपा बन जाता है। वही प्यूपा जो अनुकूल वातावरण में तितली बनकर बाहर आते हंै और कृषक इन्ही तितलियों का संग्रहण कर पुन: कोसा प्राप्त करने के लिए तितलियों से अण्डा प्राप्त करते हंै। उसी के साथ कोसे से रेशम बनाई जाती है। रेशम का बाजार में अच्छा मूल्य मिल जाता है। ये एक प्रकार का आधुनिक कृषि है जिसमें अधिक लाभ होती है।
छत्तीसगढ़ का कोसा पूरी दुनिया प्रसिद्ध
छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क पूरी दुनिया में अपने आरामदायक टेक्स्चर के लिए जाना जाता है। प्रदेश में विदेशी पर्यटकों के आगमन के साथ ही यहां की कोसा सिल्क साडिय़ों के निर्यात में दिनों.दिन बढ़ोतरी हो रही है। राजिम माघी पुन्नी मेला के मौके पर लगाई गई प्रदर्शनी में कोसा सिल्क बनाने वाली तितलियों को भी रखा गया है। इन तितलियों को देखते ही कई लोग इनके बारे में और जानने की इच्छा जाहिर करते नजर आए। कई लोगों ने इनकी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की।
क्या है कोसा की खासियत
कोसा सिल्क प्रदेश के कुछ जिले में मुख्य रूप से तैयार किया जाता है। यह बेहद मजबूत होता है और पूरी दुनिया में अपने नर्म टेक्स्चर के लिए जाना जाता है। यह सिल्क के सबसे शुद्ध प्रकारों में गिना जाता है। इसकी खासियत इसके रंग हैं। कोसा सिल्क प्राकृतिक रूप से हल्के गोल्डन रंग में मिलता है जिसे पलाश, लाख और गुलाब की पंखुडियों से बने रंगों से डाई किया जाता है।
डिजाइनर आउटफिट्स भी होते हैं तैयार
पारंपरिक रूप से कोसा से सिर्फ साडिय़ां बनाई जाती थीं लेकिन अब इससे लहंगे भी बनाए जाते हैं। विदेशों में कोसा सिल्क के कपड़ों से कई तरह के डिजाइनर वेस्टर्न आउटफिट्स भी तैयार किए जाते हैं।
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