लॉकडाउन में भी चल रहा है जोरों से लघु वनोपजों का संग्रहण
रायपुरPublished: Apr 09, 2020 04:05:13 pm
अब तक 11 लाख रुपए के 605 क्विंटल वनोपजों की खरीदी
लॉकडाउन में भी चल रहा है जोरों से लघु वनोपजों का संग्रहण
बलौदा बाजार। लॉकडाउन में प्रतिबन्ध से छूट मिलने के बाद लघु वनोपजों के संग्रहण का कार्य जिले में तेजी से चल रहा है। स्थानीय स्व सहायता समूहों द्वारा संग्राहकों से उनके घर-घर जाकर सरकारी दर पर वनोपजों की खरीदी की जा रही है। 6 अप्रैल तक 605 क्विंटल 8 विभिन्न प्रकार के वनोपजों का संग्रहण किया जा चुका है, जिनका सरकारी दर पर खरीदी मूल्य 11 लाख 14 हजार रुपए के लगभग है। फिलहाल जंगलों से जिले में बहेड़ा फल, हर्रा फल, धवई फूल, कालमेघ पंचांग, नागरमोथा जड़, चरोटा बीजा, बहेड़ा काचरिया और माहुल पत्ता का संग्रहण कार्य जारी है। वनोपज संग्रहण में प्रतिबन्ध हटने पर संग्राहकों में हर्ष व्याप्त है। वनवासियों और ग्रामीणों के लिए अतिरिक्त आमदनी का यह बढिय़ा जरिया बना हुआ है। जिले के कसडोल, बिलाईगढ़ क्षेत्र के हजारों वनवासियों को इससे रोजग़ार मिला है।
बहेड़ा फल की सर्वाधिक आवक
गौरतलब हो कि जिले की जंगलों से सबसे ज्यादा 218 क्विंटल आवक बहेड़ा फल की हुई है। इसके बाद चरोटा बीज 195 क्विंटल, कालमेघ 54 क्विंटल, नागरमोथा 50 क्विंटल, माहुल पत्ता 54 क्विंटल, बहेड़ा कचरिया 16 क्विंटल, हर्रा फल 11 क्विंटल तथा धवेई फूल 8 क्विंटल शामिल है। डीएफओ आलोक तिवारी ने बताया कि पूरे सीजन तक समूहों के द्वारा इन वनोपजों की खरीदी जारी रहेगी। खरीदी एवं संग्रहण में कोविड से बचाव के नियम कायदों का बाकायदा पालन कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बहेड़ा फल 1700 रुपए प्रति क्विंटल, हर्रा फल 1500 रुपए प्रति क्विंटल, धवेई फूल 32 सौ रुपए प्रति क्विंटल, कालमेघ 33 सौ रुपए प्रति क्विंटल, नागरमोथा 27 सौ रुपए प्रति क्विंटल, चरोटा बीज 14 सौ रुपए प्रति क्विंटल, बहेड़ा काचरिया 22 सौ रुपए प्रति क्विंटल तथा माहुल पत्ता 15 सौ रुपए सरकारी घोषित दर पर खरीदा जा रहा है।
त्रिफला का एक फल माना जाता है बहेड़ा फल को
आयुर्वेद में बहेड़ा त्रिफला का एक अंग माना जाता है। वसंत ऋतु में बहेड़ा के पेड़ से पत्ते झड़ जाने के बाद इस पर ताम्बे के रंग के नई टहनी या शाखा निकलते हैं। गर्मी के मौसम के आगमन तक इसी टहनी या शाखा के साथ फूल खिलते हैं। वसंत के पहले तक इसके फल पक जाते हैं। बहेड़ा के फलों का छिलका कफनाशक होता है। यह कंठ और सांस की नली से जुड़ी बीमारी पर बहुत असर करती है। इसके बीजों की गिरी दर्द और सूजन खत्म करती है।