रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने योग जरूरी
डॉ. भागवत सिंह (पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ) ने अष्टंग योग का विस्तारपूर्वक व्याख्या करते हुए कहा, मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से है, वह बना रहे इसके लिए योग आवश्यक है। शरीर को निरोगी रखने के लिए व्रत आवश्यक है। सभी धर्मों में व्रत की व्यवस्था है। इसे धर्म से इसलिए जोड़ा गया, ताकि व्यक्ति उपवास रहे। उपवास रहने से शरीर का विषैला तत्व खत्म हो जाता है।
डॉ. भागवत सिंह (पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ) ने अष्टंग योग का विस्तारपूर्वक व्याख्या करते हुए कहा, मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से है, वह बना रहे इसके लिए योग आवश्यक है। शरीर को निरोगी रखने के लिए व्रत आवश्यक है। सभी धर्मों में व्रत की व्यवस्था है। इसे धर्म से इसलिए जोड़ा गया, ताकि व्यक्ति उपवास रहे। उपवास रहने से शरीर का विषैला तत्व खत्म हो जाता है।
प्रकृति से दूर होने से आती है विकृति
द्वितीय सत्र में डॉ. बृजेश सिंह (सीएसआईएल नई दिल्ली) ने प्रकृति और संस्कृति पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा, जितने हम प्रकृति से दूर होते हैं, हममें विकृति आती है और हम अस्वस्थ होते हैं। जितने हम प्रकृति के निकट होते हैं, उतने ही हम स्वस्थ होते हैं। यही मानव संस्कृति है। आप कहीं भी प्रकृति के बिना संस्कृति की कल्पना नहीं कर सकते। प्राचीन नगरों, हड़प्पा आदि में अस्पताल के प्रमाण नहीं मिले, जो बताता है कि प्राचीनकाल में लोग प्रकृति से जुड़े होते थे, इसलिए निरोग रहते थे।
द्वितीय सत्र में डॉ. बृजेश सिंह (सीएसआईएल नई दिल्ली) ने प्रकृति और संस्कृति पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा, जितने हम प्रकृति से दूर होते हैं, हममें विकृति आती है और हम अस्वस्थ होते हैं। जितने हम प्रकृति के निकट होते हैं, उतने ही हम स्वस्थ होते हैं। यही मानव संस्कृति है। आप कहीं भी प्रकृति के बिना संस्कृति की कल्पना नहीं कर सकते। प्राचीन नगरों, हड़प्पा आदि में अस्पताल के प्रमाण नहीं मिले, जो बताता है कि प्राचीनकाल में लोग प्रकृति से जुड़े होते थे, इसलिए निरोग रहते थे।
योग हमें बचा सकता है कोरोना से
प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने वेबिनार की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा, कोविड-19 महामारी के समय योग एक ऐसा साधन है, जो हमें बचा सकता है। मैं खुद 20 वर्षों से योग और प्राणायाम से जुड़ा हूं, जिसका लाभ मुझे मिला है। इसका लाभ सब लें, वेबिनार का यही उद्देश्य है।
प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने वेबिनार की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा, कोविड-19 महामारी के समय योग एक ऐसा साधन है, जो हमें बचा सकता है। मैं खुद 20 वर्षों से योग और प्राणायाम से जुड़ा हूं, जिसका लाभ मुझे मिला है। इसका लाभ सब लें, वेबिनार का यही उद्देश्य है।
अपनाना होगा भारतीय संस्कृति को
डॉ. उषा दुबे (पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय) ने कहा, वर्तमान परिदृश्य में योग आवश्यक और उपयोगी है। पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है, जिसकी संस्कृति, विश्व का नेतृत्व करेगा, तभी मानव जाति बचेगा। आज भारतीय संस्कृति नमस्ते को पूरा विश्व अनुसरण कर रहा है। इसके बाद अंतिम सत्र में प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किए। द्वितीय दिवस 8 जून को विषय विशेषज्ञ डॉ. प्रज्ञा मित्रा (सहायक प्राध्यापक अभिलाषी आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं शोध संस्थान मंडी हिमाचल प्रदेश ) व योग आचार्य मनान कुमार (हिंदू बनारस विश्वविद्यालय) का व्याख्यान होगा। इसके बाद शोध पत्रों की प्रस्तुति होगी।
डॉ. उषा दुबे (पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय) ने कहा, वर्तमान परिदृश्य में योग आवश्यक और उपयोगी है। पूरे विश्व में भारत एक ऐसा देश है, जिसकी संस्कृति, विश्व का नेतृत्व करेगा, तभी मानव जाति बचेगा। आज भारतीय संस्कृति नमस्ते को पूरा विश्व अनुसरण कर रहा है। इसके बाद अंतिम सत्र में प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किए। द्वितीय दिवस 8 जून को विषय विशेषज्ञ डॉ. प्रज्ञा मित्रा (सहायक प्राध्यापक अभिलाषी आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं शोध संस्थान मंडी हिमाचल प्रदेश ) व योग आचार्य मनान कुमार (हिंदू बनारस विश्वविद्यालय) का व्याख्यान होगा। इसके बाद शोध पत्रों की प्रस्तुति होगी।