scriptधर्म मार्ग की पहली सीढ़ी है इंसानियत : साध्वी सम्यकदर्शना | cg news | Patrika News

धर्म मार्ग की पहली सीढ़ी है इंसानियत : साध्वी सम्यकदर्शना

locationरायपुरPublished: Jul 16, 2020 06:02:33 pm

Submitted by:

Gulal Verma

जैसी मति, वैसी ही गति : साध्वी चंदनबाला

धर्म मार्ग की पहली सीढ़ी है इंसानियत : साध्वी सम्यकदर्शना

धर्म मार्ग की पहली सीढ़ी है इंसानियत : साध्वी सम्यकदर्शना

रायपुर। एमजी रोड स्थित दादाबाड़ी में साध्वी सम्यकदर्शना ने कहा कि इंसानियत अथवा मानवता के धर्म को जीवन में प्रगट किए बिना धर्म नहीं कहलाता। यह मानवता का धर्म जीवन में बारह व्रतों को धारण करने से आता है। धर्म मार्ग की पहली सीढ़ी है इंसानियत का धर्म। प्रभु परमात्मा ने कहा कि पहले मानव धर्म को जीवन में प्रगट करें, फि र जैनत्व श्रावकत्व को प्रगट कर साधु बनने की बात करें। 12 व्रतों में पहले पांच अणुव्रतों को रखा गया है। अहिंसा पालन, झूठ न बोलना, चोरी नहीं करना, ब्रह्मचर्य, परिग्रह परिमाण व्रत।
साध्वी ने कहा कि सभी इंद्रियों की प्रवृत्तियों और निवृत्तियों का स्वामी मन ही है। मन यदि संभल जाए तो भावों की भी शुद्धि हो जाती है। मन के द्वारा हमें इंद्रियों की आसक्तियों को घटाना होगा। इस संसार के दुखों को समाप्त करने के लिए अपने मन के भावों को संभालें। नवकार महामंत्र के बिना मन, आत्मा शून्य हो जाएगी और शून्य मन के भीतर विषय, कसाय रूपी दुर्गुणों का प्रवेश हो जाएगा।
भैरव सोसायटी में साध्वी चंदनबाला ने भावना का चिंतन करते हुए बताया कि भावना यानी अनुप्रेक्षा, चिंतन, विचार। जब आचार की शुद्धि होगी, तब विचार सम्यक बनेंगे। जैसा भाव-वैसा भव, जैसी मति-वैसी गति। जो नित्य नहीं है, उसी को अपना मानकर हम दुर्गति के द्वारों को खोलते जा रहे हैं। हमें स्वयं का निरीक्षण, परीक्षण, अनुप्रेक्षण करना है। उन्होंने कहा, जहां न पहुंचे रवि- वहां पहुंचे कवि, जहां न पहुंचे कवि- वहां पहुंचे अनुभवी। परमात्मा के शासन में आसन मिलने के बाद जीवन में कोई परिवर्तन नहीं, मर्यादाएं नहीं, मात्र स्वार्थवृत्ति रही तो जीवन पतन के गर्त में भी जा सकता है।

तो एेसी शिक्षा किसी काम की नहीं : साध्वी सुभद्रा

विवकानंद नगर के ज्ञान वल्लभ उपाश्रय में साध्वी सुभद्रा ने कहा कि बच्चों को एेसी शिक्षा देना ठीक नहीं है, जिससे के वे आपको ही नालायक समझने लगे। बल्कि, इतना लायक बनाएं कि ज्ञानियों की पंक्ति में वे सबसे आगे बैठें। यानी कि चरित्रवान बनाइए। जो बच्चों के जीवनभर काम आएगी। साध्वी शुभंकरा ने कहा कि पहले लड़की के रिश्ते की बात घर-परिवार देखकर की जाती थी। आजकल सुंदरता देखकर की जाती है। फिर जिंदगीभर फाइट ही होती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो