विप्र शिक्षण समिति के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने कहा, कोरोना महामारी के दौर में हर कोई प्रभावित है। इसके रोकथाम के उपाय बहुत जरूरी है। शिक्षण संस्थाओं की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण साबित होगी। विद्यार्थियों को जागरूक करके स्वयं सुरक्षित रहने और दूसरों को सुरक्षित रखने की शिक्षा दें। युवा वर्ग का प्रयास ही महामारी को खत्म करने में मील का पत्थर साबित होगा।
प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने अतिथियों और मुख्य वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा, सीखने और सिखाने का तरीका तेजी से बदला है। पूरा विश्व एक प्लेटफार्म पर नजर आ रहा है। ऐसे विषम परिस्थिति में पूरे विश्व में शिक्षण कला नवाचार कैसे आज के चुनौतियों का सामना कर रहा है, इस वेबिनार के माध्यम से देश-विदेश के विषय विशेषज्ञों के शोध और विचार विद्यार्थियों को तनावरहित रखकर अनुकूल माहौल में शिक्षित करने के लिए नई दिशा देगा।
प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने अतिथियों और मुख्य वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा, सीखने और सिखाने का तरीका तेजी से बदला है। पूरा विश्व एक प्लेटफार्म पर नजर आ रहा है। ऐसे विषम परिस्थिति में पूरे विश्व में शिक्षण कला नवाचार कैसे आज के चुनौतियों का सामना कर रहा है, इस वेबिनार के माध्यम से देश-विदेश के विषय विशेषज्ञों के शोध और विचार विद्यार्थियों को तनावरहित रखकर अनुकूल माहौल में शिक्षित करने के लिए नई दिशा देगा।
इसके बाद प्रथम तकनीकी सत्र में प्रोफेसर राजीव चौधरी (अधिष्ठाता छात्र कल्याण, विभागाध्यक्ष विधि अध्ययन शाला पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर) ने योग को तनाव दूर करने का माध्यम बताते हुए कहा, तनाव का होना या ना होना विचार प्रक्रिया पर निर्भर करता है। योग विचार प्रक्रिया को सही करता है। योग द्वारा व्यक्ति अपने अवगुणों को खत्म करके सकारात्मक विचार से प्रतिकूल परिस्थिति में भी सहज और सम रहना सीखता है।
द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर सूरूजमल बॉस (डीन अनुसंधान एवं नवाचार अर्थशास्त्र एवं प्रबंध विज्ञान संकाय दक्षिण अफीका) ने दक्षिण अफ्रीका में उच्च शिक्षण संस्थाओं के वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा, संसाधन वित्तीय व्यवस्था, अधोसंरचना, बिजली की आपूर्ति, अकादमिक व्यक्तियों की तैयारी, ग्रामीण क्षेत्रों में अध्ययन व्यवस्था तथा अभिभावकों का पूर्ण रूप से तैयार ना होना शिक्षा क्षेत्र की समस्या है। समाधान के लिए आवश्यक है, चीजों को सहज रखें। विद्यार्थियों से सहानुभूति व सद्भावना के साथ अच्छा संप्रेषण कायम करें। संगठित व सुव्यवस्थित रहने का प्रयास करें। जिस तकनीकी प्लेटफार्म का उपयोग कर रहे हैं, उसमें अपनी दक्षता और सामंजस्य बढ़ाने का प्रयास करें।
द्वितीय सत्र में विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर सूरूजमल बॉस (डीन अनुसंधान एवं नवाचार अर्थशास्त्र एवं प्रबंध विज्ञान संकाय दक्षिण अफीका) ने दक्षिण अफ्रीका में उच्च शिक्षण संस्थाओं के वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा, संसाधन वित्तीय व्यवस्था, अधोसंरचना, बिजली की आपूर्ति, अकादमिक व्यक्तियों की तैयारी, ग्रामीण क्षेत्रों में अध्ययन व्यवस्था तथा अभिभावकों का पूर्ण रूप से तैयार ना होना शिक्षा क्षेत्र की समस्या है। समाधान के लिए आवश्यक है, चीजों को सहज रखें। विद्यार्थियों से सहानुभूति व सद्भावना के साथ अच्छा संप्रेषण कायम करें। संगठित व सुव्यवस्थित रहने का प्रयास करें। जिस तकनीकी प्लेटफार्म का उपयोग कर रहे हैं, उसमें अपनी दक्षता और सामंजस्य बढ़ाने का प्रयास करें।