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अधिनियम और संहिता में ट्यूूशन फीस की व्याख्या, जिम्मेदार बन रहे अनजान

locationरायपुरPublished: Sep 17, 2020 04:25:39 pm

Submitted by:

Gulal Verma

हाईकोर्ट के निर्देश के विरुद्ध शत प्रतिशत फीस मांग रहे

अधिनियम और संहिता में ट्यूूशन फीस की व्याख्या, जिम्मेदार बन रहे अनजान

अधिनियम और संहिता में ट्यूूशन फीस की व्याख्या, जिम्मेदार बन रहे अनजान

रायपुर। सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पालकों, प्राइवेट स्कूलों और प्रशासन के बीच विवाद चरम पर है। एक तरफ तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाकर निजी स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं। वहीं, शिक्षा विभाग के जिम्मेदार पालकों की मदद करने के बजाय सबकुछ जानकर भी पल्ला झाड़ रहे हंैं। जबकि, अधिनियम और संहिता का हवाला देते हुए पैरेंट्स एसोसिएशन ने ट्यूशन फीस को लेकर प्राइवेट स्कूलों और शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
इन मदों की लेते हैं शुल्क
शिक्षण, डेवलपमेंट, मेडिकल, बिल्डिंग, मेंटनेंस, टर्म फीस, बागवानी, योगा, अमलगमेटेड, निर्धन छात्र, स्मार्ट क्लास, परिवहन, वार्षिक, एडमिशन, डायरी, आईडी कार्ड, टाई-बेल्ट, रेडक्रास, परीक्षा, विज्ञान, स्काउड-गाइड, पत्रिका, छात्र समूह बीमा योजन, एक्टिविटी, लेट फीस, बोर्ड एफिलेशन, कंप्यूटर, लैब और कॉसन मनी के रूप में शुल्क लिया जाता है।
इस तरह समझंे ट्यूशन फीस
– आयकर अधिनियम १९६१ की धारा ८०सी के अनुसार ट्यूशन फीस वह फीस होती है, जो पालक अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों को देते हैं। इसमें डेवलपमेंट शुल्क, डोनेशन, कैंपिटेंशन और लेट फीस शामिल नहीं होती है।
– शिक्षा संहिता नियम १२४ए, अध्याय ९ शिक्षा शुल्क पेज नंबर ८३१ के अनुसार शासकीय और अशासकीय विद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रम संबंधी व गतिविधियों के संचालन के लिए शुल्क लेना।
– स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा २२ अप्रैल २०१६ को सर्कुलर के अनुसार पालकों की आम सहमति और जिला शिक्षा अधिकारी की उपस्थिति में निर्धारित किया गया शुल्क।
– सीबीएसई एफिलिशन बायलॉज २०१८ के अनुसार स्कूलों में फीस पीटीए (पैरेंट्स टीचर एसोसिएशन) द्वारा स्कूलों में दी जाने वाली सुविधाओं के अनुसार तय होती है।
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसो. ने सौंपा डीईओ को ज्ञापन
जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग द्वारा जारी निर्देश के विरोध में छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने बुधवार को दुर्ग जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। जारी निर्देश को वापस नहीं लेने पर कोर्ट की शरण में जाने की बात एसोसिएशन ने की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि दुर्ग जिला शिक्षा अधिकारी ने निजी स्कूलों को माहवार फीस लेने के निर्देश दिए हैं, जो कि हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत है।
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