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एक ही गर्भगृह में मां महामाया व मां काली है विराजमान

locationरायपुरPublished: Oct 21, 2020 04:18:28 pm

Submitted by:

Gulal Verma

श्रद्धालुओं को साक्षात दर्शन देती हैं कमलक्षेत्र की आराध्य देवी मां महामाया

एक ही गर्भगृह में मां महामाया व मां काली  है विराजमान

एक ही गर्भगृह में मां महामाया व मां काली है विराजमान

राजिम। रायपुर-देवभोग मुख्य मार्ग में नगर के दत्तात्रेय मंदिर से करीब ४०० गज की दूरी पर पश्चिम दिशा में रामचंद्र देवल और राजीवलोचन मंदिर जाने के रास्ते पर कमल क्षेत्र की आराध्य देवी शक्ति स्वरूपा मां महामाया विराजमान है। मंदिर इटवा पत्थरों से बनाई गई है। इनके निर्माण के संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है। किसी ने इसे कलचुरीकालीन होने की जानकारी दी है। गर्भगृह के ललाट और द्वार पर बड़े पत्थरों का जुड़ाई हुआ है। दरवाजे से सीधे मां महामाया की प्रतिमा लगभग साढ़े तीन फीट ऊंची है। माता की मूर्ति मनभावन है। दर्शन करने के बाद भी इन्हें बार-बार निहारने का मन करता है। मां महामाया के ठीक दाई और इतनी ही ऊंचाई लिए हुए मां काली की मूर्ति स्थापित है।
बताया जाता है कि यहां विग्रह भी प्राकृतिक है। इनका स्वरूप लाल है तथा विकराल होने के बजाय मनमोहिनी स्वरूप लेकर यहां प्रकट हुई है। लगभग दुनिया के प्रत्येक मंदिरों के गर्भगृह में एक ही मूर्ति स्थापित की जाती है या फिर विराजमान होती है, किंतु यहां दो देवियां एक ही गर्भगृह में उपस्थित होकर दीन-दुखियों की पीड़ा हर रही है। यह अपने आप में सर्वथा विलक्षण उदाहरण है। जनश्रुति है कि यही स्थान प्राचीनकाल में निर्जन वन था। लोग इस जगह पर आने से भय खाते थे। जब यहां महामाया माता प्रकट हुई तो उनका स्वरूप अत्यंत विकराल था जिसे साधारण मनुष्य इस लौकिक आंखों से देख नहीं पाता था। भयंकर स्वरूप से चिंतित श्रद्धालुओं ने साधुओं की राय से इनके स्वरूप को ऊपर से बदला। इनका मुख पूर्व दिशा की ओर था, जिसे पश्चिम दिशा किया गया है। मंदिर के दाहिने ओर महामंडप के आगे काल भैरवजी विराजमान हैं। परिक्रमा पथ में उत्तर अभिमुख मावली माता व दंतेश्वरी दाई का दर्शन होते हैं
महामाया मंदिर प्रांगण में इस शारदीय नवरात्र में ९४७ ज्योति कलश प्रज्वलित है। महामाया मंदिर से करीब १०० गज की दूरी पर पुरानी हरी में चंडी माता विराजमान है। युवाओं ने एक छोटी सी मंदिर बनाया है, जिसमें माता प्रतिष्ठित है। मंदिर का द्वार दक्षिणाभिमुख है, लेकिन चंडी माता मां महामाया की ओर मुख करके बैठी हुई है। यहां मात्र एक ज्योति कलश कोरोनावायरस को देखते हुए प्रज्वलित किया गया है। चौबेबांधा सड़क मार्ग पर मां शक्ति की प्रतिमा स्थापित है। पिछले ११ वर्षों से यहां ज्योति कलश नवरात्र पर्व में प्रज्वलित हो रही है। संगम में स्थित कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के दूसरे गर्भगृह पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है। यहां की ज्योति कलश प्रज्वलित हो रहे हैं।
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