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मोदी को भूपेश बघेल से सीखने की है आवश्यकता : राजेश्री महंत

locationरायपुरPublished: Apr 23, 2021 03:39:54 pm

Submitted by:

Gulal Verma

18 प्लस का फ्री कोरोना टीकाकरण केंद्र को करना चाहिए

मोदी को भूपेश बघेल से सीखने की है आवश्यकता : राजेश्री महंत

मोदी को भूपेश बघेल से सीखने की है आवश्यकता : राजेश्री महंत

पलारी। छत्तीसगढ़ राज्य ने विपरीत परिस्थितियों के बाद भी निरंतर उन्नति की ओर कदम बढ़ाया है लाखों किसानों के कर्जा माफ करने के बाद भी यदि हम अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं तो यह स्वागत योग्य कदम है। उक्त बातें श्री दूधाधारी मठ व श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर, छत्तीसगढ़ राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास महाराज ने कही।
उन्होंने कहा कि पहले भी कहा था कि कुछ बातों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल से सीखने की आवश्यकता है। तब कुछ लोगों को यह बातें अच्छी नहीं लगी थी। अपनी बातों को पुन: दोहराते हुए यह कहना चाहता हूं कि कुछ बातें भूपेश की इतनी अच्छी है, जिसका अनुसरण निश्चित रूप से केंद्र सरकार को करनी चाहिए। बघेल के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध कराने का जो निर्णय लिया गया है, वह प्रशंसनीय है। यह कार्य तो केंद्र की मोदी सरकार को करना चाहिए था, ताकि उनको इससे यश भी मिलता और देश के लोगों की जान-माल की सुरक्षा भी हो जाती।
उन्होंने कहा कि भूपेश का यह कथन कि नागरिकों की जीवन रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे हृदय को छू लेने वाली है। वास्तव में हम सभी की नागरिकता किसी राज्य की नहीं हैं, हम भारत के नागरिक हैं। इसलिए भारत के नागरिकों को उनके जीवन की सुरक्षा का अधिकार केंद्र सरकार के द्वारा मिलनी ही चाहिए थी। कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री मोदीी से चूक हो गई। कोरोना से भी बड़े हैजा, चेचक जैसे महामारी का सामना देश ने पंडित नेहरू, शास्त्री व इंदिराजी के समय में पहले भी किया है, लेकिन कभी भी टीकाकरण के लिए देश के नागरिकों को शुल्क देने की आवश्यकता नहीं पड़ी। यह तब की बातें है जब देश सैकड़ों वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी के बाद विकासशील अवस्था में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। देश की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत भी नहीं थी। भारतवर्ष के आजादी के 70 वर्षों के बाद हम अपने नागरिकों को महामारी के संकटकाल में नि:शुल्क वैक्सीन भी उपलब्ध कराने की स्थिति में यदि नहीं हैं, तब हमें अपने देश की आर्थिक व्यवस्था पर चिंतन करने की आवश्यकता है।
उन्होने का कि वर्ष 2014 तक भारत विश्व के चौथी बड़ी आर्थिक शक्ति बन गई थी, जो 2018 के आते-आते सातवें स्थान पर पहुंच गई। अब कोरोना महामारी के संक्रमण के बाद पता नहीं देश कौन से स्थान पर है। लेकिन जैसा भी है हम इतना भी पीछे नहीं हैं कि अपने नागरिकों को उनकी जान की सुरक्षा के लिए आवश्यक दवाई भी उपलब्ध न करा सकें। इस पर मोदी को अवश्य विचार करनी चाहिए। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के चलते पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल दिखाई दे रहा है। डॉक्टरों तथा विशेषज्ञों से अनुरोध है कि वे इस दवाई के विकल्प पर भी विचार करें जो लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके। जिससे उनके जानमाल की सुरक्षा की जा सके। हम सब का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है, इस बात को कभी भी ना भूलें।
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