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कुसमी लाख की तकनीकी पद्धति से खेती करने का बताया जा रहा तरीका

locationरायपुरPublished: Oct 21, 2021 04:44:51 pm

Submitted by:

Gulal Verma

12 वनमंडल के दो सौ से अधिक किसान ले रहे प्रशिक्षण

कुसमी लाख की तकनीकी पद्धति से खेती करने का बताया जा रहा तरीका

कुसमी लाख की तकनीकी पद्धति से खेती करने का बताया जा रहा तरीका

देवभोग। वन विभाग इन दिनों देवभोग परिक्षेत्र कार्यालय में चार दिवसीय कुसमी लाख प्रशिक्षण चल रहा है। इसमे जगदलपुर, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, धमतरी, जशपुर, भानुप्रतापपुर, धरमजयगढ़, कांकेर, कोरबा, गरियाबंद सहित 12 वन मंडल के 200 से अधिक किसानों के अलावा देवभोग परिक्षेत्र के 12 वन समिति के सदस्य व प्रबंधक प्रशिक्षण में शामिल हुए है। तकनीकी पद्धति से कुसमी लाख की खेती करने का तरीका वन विशेषज्ञों द्वारा बारिकी से बताया जा रहा है। प्रशिक्षण डीएफ ओ मयंक अग्रवाल की उपस्थिति में शुरू हुआ। लघु वनोपज संघ के उप प्रबंध संचालक अतुल श्रीवास्तव, जूनियर एक्जीक्युटीव कोमल कंसारी के मार्गदर्शन पर लाख विशेषज्ञ ए. के. जायसवाल ने प्रोजेक्ट प्रजेंटेशन के मध्यम से लाख उत्पादन के हर पहलु को बारिकी से बताया।
लाख उत्पादन के लिए 22 हजार पेड़ का चयन
माना जाता है गरियाबंद जिला के लाख उत्तम किस्म के होते हंै। डीएफ ओ मयंक अग्रवाल ने बताया वर्ष 2021 के पहले कुसुम के ढाई से तीन हजार पेड़ों पर परम्परागत तरीके से लाख की खेती होती थी। विभाग के सर्वे के अनुसार अब जिलेभर में 22 हजार कुसुम के पेड़ हैं, जहां वैज्ञानिक तरीके से उत्तम खेती की अपार संभावना है। इसके लिए जो भी किसान तैयार होगा, उसे धान की तरह वगैर ब्याज के लोन की सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी।
उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी
2021 के पहले सालाना 10 हजार क्विंटल लाख उत्पादन होता था। अगर विभाग की माने तो एक पेड़ में 2-3 क्विंटल लाख की खेती होती थी। वन विभाग इसे 2022 तक बढाकर प्रति पेड़ 5 क्विंटल तक पहुंचाना चाहती है। इसके लिए विभाग महिला समूह को प्रोत्साहित कर रही है। ऐसे में वन विभाग 2022 तक देवभोग में लाख प्रोसेसिंग सेंटर स्थापित करने पूरजोर कोशिश मे जुट गया है।
भारत के कई शहर के अलावा विदेश तक मांग
गरियाबंद जिला में पाए जाने वाला लाख विश्व में उत्तम क्वालिटी का है। भारत में राजस्थान और कोलकाता में जबरदस्त मांग है तो वहीं विदेश में जर्मन एक ऐसा देश है जो भारत से छग की लाख की अत्याधिक मात्रा में मांग करता है। बाकी अन्य देश भी हंै, जिन्हें छग की लाख की आवश्यकता होती है। छग के लाख की मांग को देखते हुए विभाग लाख उत्पादन को विशेष महत्व देते हुए वनांचल क्षेत्रों में सर्वे कराकर प्रशिक्षण आयोजन कर रही है।
प्रशिक्षण के मुख्य बिन्दु
12 वनमंडल के चार दिवसीय राज्यस्तरीय प्रशिक्षण मे प्रशिक्षार्थी किसान को परम्परागत तरीके से लाख की खेती के बजाय वैज्ञानिक तरीके से खेती के कई तरीके बताए गए। वहीं, पेड़ का चयन, समय पर बिहन (बीज) का चयन, शत्रु कीट की पहचान, प्रशिक्षण में 1 किलो बीज में 5 किलो लाख उत्पादन के बजाय इसे बढ़ाकर 8 किलो करने की सलाह भी दी गई।
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