अपने पहले संतान के आगमन की खुशी में दिन काट रहे पति नेमेन नागवंशी पत्नी की मौत के बाद सदमे में है। उन्होंने बताया कि पायलीखण्ड उदंती नदी के तट पर बसा है। बारिश व बाढ़ की आशंका को देखते हुए 9वां माह लगते ही सितंबर के अंतिम दिनों में सुमित्रा को उनका मायका करलाझर छोड़ दिया था। यहां महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी नहीं है। प्रसव जैसे केस में पुरुष कार्यकर्ता से प्रसव कराने में हिचक होती है। 7वें माह में जब ओडिशा में सोनोग्राफी किया गया था तो जुड़वा संतान बताया गया था। इसी रिस्क को देखते हुए वहां ले जाना उचित समझे थे, पर गरीबी व असुविधा के कारण पत्नी व गर्भ में पल रहे बच्चों की मौत हो गई।
प्रसिद्ध हीरा खदान स्थित पायलीखण्ड जांगड़ा पंचायत में आता है। कमार भुंजिया बाहुल जांगड़ा पंचायत में उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई है। ढाई साल पहले नए भवन निर्माण की मंजूरी भी दी गई। सीजीएमसी के ठेकेदार ने ढाई साल में भवन को नहीं बनाया। यहां एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पोस्टिंग भी है। 7 अगस्त को महिला कार्यकर्ता की नियुक्ति की गई थी। 20 सितम्बर को जॉइन भी की थी, परंतु कार्यालय व आवास की असुविधा को देखते हुए वह तबादला कराने के प्रयास में जुटी हुई है। सरपंच प्रतिनिधि हेमंत नेताम, उपसरपंच भानु सिन्हा, जनपद सदस्य जयराम नागवंशी ने बताया कि ऐसी समस्या आज एक सुमित्रा को नहीं हैं। गर्भवती सभी माता- बहनों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। अधूरे भवन व महिला कार्यकर्ता की मांग हमेशी करते आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
एम्बुलेंस में 102, 108 की सुविधा है। स्थानीय स्तर पर मौजूद कार्यकर्ताओं द्वारा प्रावधान के तहत टीके व विटामिन भी दे रहे थे। प्रसव पीड़ा पर इन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या कार्यकर्ता से सीधे संपर्क करना था। सरकारी अस्पताल आना था, लेकिन ऐसा नहीं किए। किन हालातों में मौत हुई है, जांच करने बीएमओ को कहा गया है। बाइक एम्बुलेंस की मांग जायज है। इसे शासन स्तर पर अवगत कराया जाएगा।
– एन.आर. नवरत्न, सीएमएचओ