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समय पर उचित इलाज नहीं मिलने से महिला व गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की मौत

locationरायपुरPublished: Oct 26, 2021 04:37:02 pm

Submitted by:

Gulal Verma

गर्भवती को इलाज के लिए देवभोग से राजिम ले जा रहे थे

समय पर उचित इलाज नहीं मिलने से महिला व गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की मौत

समय पर उचित इलाज नहीं मिलने से महिला व गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की मौत

समय पर उचित इलाज नहीं मिलने से महिला व गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की मौत
गर्भवती को इलाज के लिए देवभोग से राजिम ले रहे थे

गरियाबंद। समय पर इलाज नहीं मिलने से रविवार को पायलीखंड निवासी 21 वर्षीय गर्भवती महिला व उसके गर्भ में पल रहे जुड़वा संतान की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि मार्ग खराब होने के कारण गर्भवती को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिली। गर्भवती को देवभोग के निजी अस्पताल से राजिम हॉस्पिटल ले जाया जा रहा था, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दी।
यह है मामला
करलाझर निवासी डमरू सोरी ने बताया कि उसकी बहन सुमित्रा नागवंशी 20-25 दिन से मायके में रह रही थी। रविवार सुबह करीबन 4 बजे प्रसव पीड़ा होने पर किराए के बोलेरो वाहन से सुबह 6 बजे देवभोग के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। तब तक ब्लीडिंग शुरू हो गई थी। अस्पताल वालों ने क्रिटिकल केस बताकर बड़े अस्पताल ले जाने को कहा। तब तक बहुत खून बह गया था। सुबह 7 बजे देवभोग से राजिम अस्पताल के लिए निकले थे, लेकिन रास्ते में बरगांव के पास सुमित्रा की मौत हो गई। 12 बजे शव को उसके ससुराल पायलीखंड ले जाकर उनके परिजनों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
सडक़ खराब, करलाझर नहीं आता एम्बुलेंस
डमरू सोनी ने बताया कि सडक़ खराब होने के कारण कोई भी एम्बुलेंस करलाझर साइबिन कछार तक नहीं आता है। 10 से 15 किमी दूरी पर मौजूद मेन रोड पर खड़े होकर पीडि़तों को लाने कहा जाता है। इमरजेंसी में इसी तरह प्राइवेट वाहन का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने इस इलाके के लिए बस्तर के तर्ज पर बाइक एम्बुलेंस की मांग शासन से की है, ऐसी मौत की पुनरावृत्ति न हो।
पाखली्रखंड में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं
अपने पहले संतान के आगमन की खुशी में दिन काट रहे पति नेमेन नागवंशी पत्नी की मौत के बाद सदमे में है। उन्होंने बताया कि पायलीखण्ड उदंती नदी के तट पर बसा है। बारिश व बाढ़ की आशंका को देखते हुए 9वां माह लगते ही सितंबर के अंतिम दिनों में सुमित्रा को उनका मायका करलाझर छोड़ दिया था। यहां महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी नहीं है। प्रसव जैसे केस में पुरुष कार्यकर्ता से प्रसव कराने में हिचक होती है। 7वें माह में जब ओडिशा में सोनोग्राफी किया गया था तो जुड़वा संतान बताया गया था। इसी रिस्क को देखते हुए वहां ले जाना उचित समझे थे, पर गरीबी व असुविधा के कारण पत्नी व गर्भ में पल रहे बच्चों की मौत हो गई।
स्वास्थ्य केंद्र भवन नहीं
प्रसिद्ध हीरा खदान स्थित पायलीखण्ड जांगड़ा पंचायत में आता है। कमार भुंजिया बाहुल जांगड़ा पंचायत में उपस्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई है। ढाई साल पहले नए भवन निर्माण की मंजूरी भी दी गई। सीजीएमसी के ठेकेदार ने ढाई साल में भवन को नहीं बनाया। यहां एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पोस्टिंग भी है। 7 अगस्त को महिला कार्यकर्ता की नियुक्ति की गई थी। 20 सितम्बर को जॉइन भी की थी, परंतु कार्यालय व आवास की असुविधा को देखते हुए वह तबादला कराने के प्रयास में जुटी हुई है। सरपंच प्रतिनिधि हेमंत नेताम, उपसरपंच भानु सिन्हा, जनपद सदस्य जयराम नागवंशी ने बताया कि ऐसी समस्या आज एक सुमित्रा को नहीं हैं। गर्भवती सभी माता- बहनों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। अधूरे भवन व महिला कार्यकर्ता की मांग हमेशी करते आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

एम्बुलेंस में 102, 108 की सुविधा है। स्थानीय स्तर पर मौजूद कार्यकर्ताओं द्वारा प्रावधान के तहत टीके व विटामिन भी दे रहे थे। प्रसव पीड़ा पर इन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या कार्यकर्ता से सीधे संपर्क करना था। सरकारी अस्पताल आना था, लेकिन ऐसा नहीं किए। किन हालातों में मौत हुई है, जांच करने बीएमओ को कहा गया है। बाइक एम्बुलेंस की मांग जायज है। इसे शासन स्तर पर अवगत कराया जाएगा।
– एन.आर. नवरत्न, सीएमएचओ
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