scriptकरोड़ों की लागत से निर्मित छात्रावास भवनों की स्थिति बदहाल | cg news | Patrika News

करोड़ों की लागत से निर्मित छात्रावास भवनों की स्थिति बदहाल

locationरायपुरPublished: Nov 25, 2021 04:38:17 pm

Submitted by:

Gulal Verma

निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी, वर्षभर में ही भवनों में पडऩे लगी दरारें

करोड़ों की लागत से निर्मित छात्रावास भवनों की स्थिति बदहाल

करोड़ों की लागत से निर्मित छात्रावास भवनों की स्थिति बदहाल

संडी बंगला। बलौदाबाजार जिले में एससी, एसटी, ओबीसी पोस्ट मैट्रिक विद्यार्थियों के लिए निर्मित छात्रावासों को बने वर्षभर भी नहीं हुए हैं और अभी से ये खंडहर में तब्दील होने लगे है। करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित छात्रवासों की संचालन करने के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं बन पाई है, जिसके कारण ये बदहाल स्थिति में हैं।
बता दें, बलौदाबाजार जिले में आदिवासी विकास निर्माण कार्यालय द्वारा आए 52 छात्रावासों का लोक निर्माण विभाग द्वारा भवन निर्माण कार्य कराया गया है। जिसमें अब गुणवत्ताहीन कार्य, कम मात्रा में छड़, सीमेंट, गुणवत्ताहीन ईट, मुरूम की जगह मिट्टी का उपयोग करने से संचालित होने से पहले ही भवनों में दरारेें व सीपेज आने लगी है।
मूलभूत सुविधाएं नहीं
छात्रावास भवन बनकर तैयार है, लेकिन इसके संचालन के लिए मूलभूत सुविधाएं ही अधूरी हैं। जब पत्रिका की टीम छात्रावास पड़ताल करने पहुंची तो पानी, बिजली की कोई व्यवस्था नजर नहीं आई। बिजली के लिए भवनों के बाहर ट्रांसफार्मर तो लगा दिया है, लेकिन बिजली का कनेक्शन भवन परिसर के भीतर अभी तक नहीं पहुंचा है। निर्माण कार्य होने के बाद अन्य कार्य 30 प्रतिशत अधूरा है, जबकि कागजों में छात्रावास का कार्य पूर्ण रूप से बताया जा रहा है। कोरोना संक्रमण सामान्य होने के बाद कॉलेज खुलने लगे हैं, लेकिन छात्रावास का कार्य अधूरा होने से छात्रों को अपने स्तर पर व्यवस्था बनानी होगी।
शराबियों ने बना लिय अड्डा
छात्रावास का संचालन नहीं होने से अब यह शाम के वक्त शराबियों का अड्डा बन चुका है। भवन के भीतर शराब की बोटल, पानी पाउच, खाद्य सामग्रियों की पन्नियां बिखरी हुई हंै। शराबियों ने भवन में लगे पंखे, लाइट, बाथरूम की नल, कंबोड, खिड़कियों व दरवाजे को तोडफ़ोड़ कर बुरा हाल कर दिया है। भवन में मुख्य द्वार बंद नहीं होने से मवेशी परिसर के भीतर पहुंचकर गंदगी फैला रहे हैं।
52 छात्रावासों का यही हाल
ये हाल केवल एक छात्रावास का नहीं है, बल्कि पूरे जिले के 52 छात्रावासों की यही स्थिति है। एसटी एससी ओबीसी छात्र- छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होते दिखाई दे रहा है। क्योंकि, बड़े पैमाने में विद्यार्थी पढ़ाई करने गांव से निकल कर शहर आते हैं। सरकारी छात्रावासों में सीट नहीं मिलने से गरीब बच्चे कुछ दिनों तक प्राइवेट पीजी लेकर अध्ययन जारी रखते है। लेकिन आर्थिक अभाव के कारण और असुविधाजनक स्थिति में मजबूरन पढ़ाई छोडऩी पड़ती है।

बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों की निर्माणधीन कार्य जो बंद है वो तत्काल प्रारंभ की जाए। गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना गलत है। अक्सर गरीब बच्चे आगे की पढ़ाई रहने खाने में असुविधा व घर की आर्थिक स्थिति के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में अगर 15 दिन के भीतर अर्धनिर्माण कार्य प्रारंभ और नवनिर्माण छात्रावास भवन संचालित नहीं होती है तो हम जिले के जिलाधीश के चेम्बर में बैठकर प्रदर्शन करेंगे।
– मोहन राय, प्रदेश अध्यक्ष, एससी-एसटी संघर्ष समिति

इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं मिली है। आदिवासी विकास विभाग से बात करिए।
– सुनील कुमार जैन, कलेक्टर बलौदाबाजार


पीडब्ल्यूडी विभाग के देखरेख में भवन निर्माण होता है। फिर विभाग हैंडओवर करती है। कोई काम बचा रहता है तो हम उस बिल्डिंग को नहीं ले पाएंगे। पूर्ण रूप से भवन तैयार होने के बाद भी हम अपने ले पाएंगे।
– आशीष बेनर्जी. सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास बलौदाबाजार
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो