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CG News: कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी की जमानत याचिका खारिज, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

locationरायपुरPublished: Nov 30, 2022 06:48:59 pm

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CG Desk

CG News: इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सस्पेंड IAS समीर विश्नोई, कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल और सूर्यकांत तिवारी को अदालत ने छह दिसम्बर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया है। बता दे कि ईडी ने 11 अक्तूबर को आईएएस समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी और अन्य कुछ अफसरों के यहां छापे की कार्रवाई की थी।

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CG News: कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी की जमानत याचिका खारिज, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

CG News: मनीलॉन्ड्रिग मामले में पिछले 34 दिनों से जेल भेजे गए कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी की जमानत याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। ईडी के विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने बुधवार को इसका फैसला सुनाया। उन्होंने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस समय मनीलाॅिन्ड्रग मामले की जांच चल रही है। इस प्रकरण में जेल भेजे गए समीर विश्नोई और सुनील अग्रवाल की जमानत आवेदन को पहले ही खारिज किया जा चुका है। लक्ष्मीकांत का प्रकरण इससे भिन्न नहीं है। इसे देखते हुए जमानत का लाभ दिया जाना उचित नहीं है।

इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सस्पेंड IAS समीर विश्नोई, कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल और सूर्यकांत तिवारी को अदालत ने छह दिसम्बर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया है. बता दे कि ईडी ने 11 अक्तूबर को आईएएस समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी और अन्य कुछ अफसरों के यहां छापे की कार्रवाई की थी। पहले निलंबित आईएएस समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी को जेल भेजा गया।

कोयला परिवहन घोटाले में मुख्य आरोपी सूर्यकांत
छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन घोटाले को लेकर हुई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को घोटाले का मुख्य आरोपी माना। ईडी उनके करीबी लोगों के ठिकानों तक पहुंच रही है। 11 अक्टूबर से शुरू हुई ईडी की कार्रवाई के बीच टीम ने रायपुर, महासमुंद, कोरबा, रायगढ़ में संभावित ठिकानों पर करीब 17 बार पहुंची। ED की मानें तो सूर्यकांत ने अपने साथियों के साथ मिलकर अवैध वसूली का एक समानांतर सिस्टम खड़ा किया था। आरोप है कि ट्रांसपोर्टरों को डीओ तभी मिलता था, जब रिश्वत की राशि अधिकारियों के पास पहुंच जाती थी।

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