हर साल लाखों का खर्च
2011 से 2017 तक प्रोक्राफ्ट नामक फर्म को आदिवासी योजनाओं के प्रचार के नाम पर एक कार्यक्रम करने का 25 हजार 500 रुपए दिया गया। फर्म ने 85 ब्लाकों के 2-2 गांवों में 400 से ज्यादा कार्यक्रम देकर 1 करोड़ से अधिक का भुगतान लिया। विभाग का दावा है कि फर्म के माध्यम से लोकसंगीत/ लाइट एंड साउंड कार्यक्रम के जरिए योजनाओं के प्रचार-प्रसार के बाद हितग्राहियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ, इसलिए भुगतान किया गया।
4 दिन के कार्यक्रम का 11 लाख भुगतान
राजिम कुंभ 2010-11 में सिर्फ 4 दिन में 60 कार्यक्रम के लिए फर्म को 10 लाख 80 हजार रुपए का भुगतान किया गया। पत्रिका को मिले दस्तावेज बताते हैं कि फर्म ने इस वर्ष अपना टीन नंबर भी प्रस्तुत नहीं किया था। इसी तरह 2011-12 में ग्रामसुराज के लिए 250 कार्यक्रमों की अनुशंसा की गई। इसमें फर्म को काम करने से पहले ही 25 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान किया गया। इसके बाद फर्म को 100 कार्यक्रमों का 18 लाख और दूसरी किस्त में 19 लाख 80 हजार रुपए का भुगतान किया गया।
विकासयात्रा में लाखों का काम
तत्कालीन मुख्यमंत्री की विकासयात्रा के दौरान 2013 से 2017 तक फर्म प्रोक्राप्ट को लगातार लाखों रुपए का काम दिया गया। प्रोक्राफ्ट से प्रदेश के आदिवासी बहुल 85 विकासखंडों में कार्यक्रम कराए गए।
मेसर्स प्रोक्राफ्ट को जनसंपर्क विभाग से किया गया भुगतान
1. राजिम कुंभ में वर्ष 2010-11 में 60 कार्यक्रम 18000 की दर से 10.80 लाख रुपए।
2. ग्रामसुराज में 2011-12 में 100 कार्यक्रम 18000 की दर से 18 लाख रुपए।
3. 2012-13 आदिवासी क्षेत्रों में शासकीय योजना के प्रचार-प्रसार के 100 कार्यक्रम 18000 की दर से 18 लाख रुपए। सर्विस टैक्स भी अलग से।
4. 2013 में विकासयात्रा के दौरान 100 कार्यक्रम 25500 की दर से कार्यक्रम का 25.50 लाख रुपए।
5. 2014-15 में चुनाव के कारण काम नहीं दिया गया।
6. 2015-16 में 200 कार्यक्रम 25500 की दर सेकार्यक्रम का 51 लाख रुपए।
7. 2016-17 में 100 कार्यक्रम 25500 की दर से कार्यक्रम का 25.50 लाख रुपए।