बस्तर की 11 सीटों पर सबकी निगाहें
प्रदेश में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 12.82 प्रतिशत है और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 30.62 प्रतिशत। यानी कुल जनसंख्या का 43.44 प्रतिशत। छत्तीसगढ़ की राजनीति में बस्तर संभाग की 12 सीटों का बेहद महत्व है। जिनमें से 11 सीटें जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। 2008 में बीजेपी ने बस्तर संभाग की आरक्षित सीटों में से 10 सीटें जीती थीं, लेकिन 2013 में बीजेपी को बस्तर संभाग में केवल 4 सीटें ही मिलीं। माना जा रहा है कि इस बार इन सीटों पर कड़ा संघर्ष होगा।
कांगेस
– अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 सीटों में कांग्रेस ने कुल 1 सीट अपने नाम की है।
– अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 29 सीटों में कांग्रेस ने 20 सीटों पर कब्जा किया है।
– अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पर कांग्रेस की जीत का प्रतिशत 10 रहा।
– अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस की जीता का प्रतिशत 68.9 रहा।
कहां कौन भारी
छत्तीसगढ़ में सामान्य सीटों के अलावा अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर भाजपा का प्रदर्शन हमेशा से अच्छा रहा है। जहां तक जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों का सवाल है, इसमें कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस को बढ़त मिलती रही है। 2013 में बीजेपी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 में से आठ सीटें हथिया ली थी। वहीं कांग्रेस ने जनजातियों के लिए आरक्षित 29 में से 18 सीटों पर कब्जा जमा लिया, लेकिन चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहे, क्योंकि सामान्य सीटों पर वो कांग्रेस से आगे थी। गौरतलब है कि आरक्षित सीटों पर हार-जीत के फैसले का अंतर सामान्य सीटों की अपेक्षा कम रहता है। इसलिए इन सीटों पर संघर्ष भी ज्यादा है।