लोकतंत्र में जनादेश से खिलवाड़ जैसी स्थिति
रेखचंद ने कहा कि यह लोकतंत्र में जनादेश से खिलवाड़ जैसी स्थिति है। इस तरह की गतिविधि से आम नागरिक व जनमानस परेशान है। संदिग्धों की गतिविधि से भी इवीएम मशीनों की हैकिंग की पूरी आशंका है। इसलिए उन्होंने वीवीपैट से मतगणना कराने की मांग की है।
क्या है वीवी पेट
वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट व्यवस्था के तहत वोटर के वोट डालने के तुरंत बाद कागज़़ की एक पर्ची बनती है। इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। जो वोट डालने के बाद ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है। सामान्य तौर पर इवीएम से ही काउंटिंग की जाती है। लेकिन वोटिंग के दौरान या वोटिंग से लेकर मतगणना के बीच तक में किसी तरह की विवाद की स्थिति होने पर सशर्त ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जाता है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने यह मशीन 2013 में डिज़ाइन की थी। इसके बाद सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के आदेश केंद्र सरकार को दिए। इस व्यवस्था की विश्वसनियता को देखते हुए ही चुनाव आयोग ने जून 2014 में तय किया किया अगले चुनाव यानी साल 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा।
मतगणना स्थल पर लगे जैमर
कांग्रेसियों ने मतगणना स्थल के आस-पास करीब 500 मीटर के दायरे में आने वाले सभी मोबाइल टावरों की विशेष निगरानी रखी जाने की मांग की है। साथ ही वहां होने वाले संधारण व सुधार कार्य की जानकारी उन्हें देने का भी निवेदन किया है। साथ ही उन्होंने मतगणना दिवस यानी की 11 दिसंबर को मतगणना स्थल पर जैमर लगाने की भी मंाग की है। वहीं इस मामले की पारदर्शी तरीके से जांच कर दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने भी मांग की है।