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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018: विकलांगों की बस्ती में सत्ता की खामोशी

locationरायपुरPublished: Oct 20, 2018 06:44:49 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

तीन चुनाव के बाद भी हमारा कुछ नहीं बदला। इस चुनाव से भी हमारा कुछ नहीं बदल सकेगा और तो और आने वाला कोई चुनाव हमारा कुछ नहीं बदल पाएगा, अब हमें चुनावों से उम्मीद नहीं रह गई है।

cg election 2018

CG Polls: Groung zero report on Pali-Tanakhar Vidhan Sabha seat

रायपुर. तीन चुनाव के बाद भी हमारा कुछ नहीं बदला। इस चुनाव से भी हमारा कुछ नहीं बदल सकेगा और तो और आने वाला कोई चुनाव हमारा कुछ नहीं बदल पाएगा, अब हमें चुनावों से उम्मीद नहीं रह गई है। यदि कुछ बदलना ही है तो हमारे आनेवाली पीढिय़ों को हम जैसा होने से बचा लो। बातों में ऐसी तड़प, नाउम्मीदी और भविष्य को लेकर छटपटाहट जिले के पाली तानाखर विधानसभा क्षेत्र के कौंवाताल और पंडरीपानी गांव के ग्रामीणें की है। पढ़िए पाली-तानाखार के फ्लोराइड प्रभावित गांव कौंवाताल-पंडरीपानी से आकाश श्रीवास्तव की ग्राउंड रिपोर्ट।
ये गांव पिछले कई साल से फ्लोराइड की मार झेल रहे हैं, फ्लोराइड इनकी नसों में इस कदर पेवस्त हो गया है कि ये विकृत और विकलांग हो चुके हैं ये वहीं विधानसभा क्षेत्र है जहां के विधायक रामदयाल उइके हैं जिन्होंने हाल में ही कांग्रेस छोडक़र भाजपा ज्वाइन किया है। ऐसे में इनके विधायक रहते इन गांव के लोगों की काया तो नहीं बदल सकी पर ऐन चुनाव के समय विधायक महोदय ने अपना चोला जरूर बदल लिया है।

केवल दावे और आश्वासन
42 साल के करमपाल चौहान अपना दर्द बता रहे हैं कि बचपन और युवावस्था तक उनके हाथ-पैर ठीक थे, कामयाब थे। 31वें साल से उनके हाथ-पैर में दर्द होना शुरू हुआ। देखते ही देखते 40 साल की उम्र्र में उनके हाथ-पांव टेढ़े-मेढ़े होने लगे। अब ये स्थिति है कि 15 कदम के बाद पांव थम जाते हैं। ये सबकुछ हुआ सरकारी हैंडपंप की वजह से। अच्छा भला कुएं का पानी पूरा गांव पीता था। सरकार ने हैंडपंप खोद दिया। इसका पानी पीने से गांव के दो दर्जन लोग फ्लोराइड के शिकार हो गए।

40 साल की जुनकुंवर कहती है इस सरकारी पानी ने विकलांग बना दिया। इस चुनाव से भी हमें कोई उम्मीद नहीं है। हम तो अब ठीक नहीं हो सकते कम से कम हमारी पीढिय़ों को बचा ले। बच्चों के दांतों तक फ्लोराइड पहुंच चुका है। धीरे-धीरे हडिड्यों तक पहुंचने लगेगा। उनकी जिदंगी में लौं जलाने की जरूरत है। ताकि वे हमारी तरह विकलांग ना हो जाएं।

बेरोजगारी बड़ा मुद्दा
पूरी तरह से खेतों पर निर्भर पाली तानाखार में खेती फायदे का धंधा नहीं बन सका। किसानों को पर्याप्त सिंचाई के साधन नहीं मिले। पानी तो हर बार किसानों को रुला रहा है। दूसरी तरफ युवाओं के लिए बेरोजगारी भी बड़ा मुदद है। रोजगार के लिए शहर आना पड़ रहा है। ग्रामीण विकास लगभग चौपट है।

एक-दो नहीं 34 गांवों का है यही दर्द
यह दर्द पाली तानाखार के एक दो नहीं बल्कि 34 गांव के लोगों का है। वहां के लोगों का कहना हैे कि फ्लोराइड की वजह से 150 से ज्यादा हैंडपंप सील कर दिए गए। लेकिन हम पानी कहां से पीएंंगे , अफसरों व नेताओं ने यह सोचा तक नहीं। पाली तानाखर विधानसभा के विधायक के निधि की बात की जाए तो जिस विधानसभा में स्वच्छ और बेहतर पेयजल की गंभीर समस्या है वहां पर विधायक निधि से पानी के लिए एक रुपए खर्च नहीं किया गया है। ये जानकारी और स्थिति दोनों ही हैरान करने वाली है।

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