केवल दावे और आश्वासन
42 साल के करमपाल चौहान अपना दर्द बता रहे हैं कि बचपन और युवावस्था तक उनके हाथ-पैर ठीक थे, कामयाब थे। 31वें साल से उनके हाथ-पैर में दर्द होना शुरू हुआ। देखते ही देखते 40 साल की उम्र्र में उनके हाथ-पांव टेढ़े-मेढ़े होने लगे। अब ये स्थिति है कि 15 कदम के बाद पांव थम जाते हैं। ये सबकुछ हुआ सरकारी हैंडपंप की वजह से। अच्छा भला कुएं का पानी पूरा गांव पीता था। सरकार ने हैंडपंप खोद दिया। इसका पानी पीने से गांव के दो दर्जन लोग फ्लोराइड के शिकार हो गए।
बेरोजगारी बड़ा मुद्दा
पूरी तरह से खेतों पर निर्भर पाली तानाखार में खेती फायदे का धंधा नहीं बन सका। किसानों को पर्याप्त सिंचाई के साधन नहीं मिले। पानी तो हर बार किसानों को रुला रहा है। दूसरी तरफ युवाओं के लिए बेरोजगारी भी बड़ा मुदद है। रोजगार के लिए शहर आना पड़ रहा है। ग्रामीण विकास लगभग चौपट है।
एक-दो नहीं 34 गांवों का है यही दर्द
यह दर्द पाली तानाखार के एक दो नहीं बल्कि 34 गांव के लोगों का है। वहां के लोगों का कहना हैे कि फ्लोराइड की वजह से 150 से ज्यादा हैंडपंप सील कर दिए गए। लेकिन हम पानी कहां से पीएंंगे , अफसरों व नेताओं ने यह सोचा तक नहीं। पाली तानाखर विधानसभा के विधायक के निधि की बात की जाए तो जिस विधानसभा में स्वच्छ और बेहतर पेयजल की गंभीर समस्या है वहां पर विधायक निधि से पानी के लिए एक रुपए खर्च नहीं किया गया है। ये जानकारी और स्थिति दोनों ही हैरान करने वाली है।