ये भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव के दौरान एक लाख से अधिक के लेन-देन पर रहेगी निर्वाचन आयोग की नजर राजनीतिक दलों को इस बात को ध्यान में रखकर टिकट का वितरण करना चाहिए कि किसी को भी नोटा का उपयोग नहीं करना पड़े या फिर चुनाव आयुक्त को नोटा के उपयोग पर अकुंश लगाना चाहिए। चुनाव आयुक्त महोदय को अधिकार होता है कि वो किस भी प्रत्याशी की टिकट स्वीकृत करें या नहीं करें। यह उनका संवैधानिक अधिकार है।
ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में मिशन-65 का लक्ष्य हासिल करने रायपुर आएंगे अमित शाह अक्सर देखने में आता है कि राजनीतिक दल चुनाव के समय आपराधिक प्रवृत्ति वालों को टिकट दे देते हैं। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वो अपनी छबि स्वच्छ रखते हुए एेसे प्रत्याशी को टिकट न दें। आम जनता से निवेदन है कि हर नागरिक वोट देने अवश्य जाए। यह उनका अधिकार है और इसका उपयोग प्रत्येक नागरिक को करना चाहिए।
ये भी पढ़ें: जनता की मांग, विकास की गति को तेज करने वाला हो विधायक ..तब प्रत्याशी खोजने से नहीं मिलते थे
एक दौर एेसा भी था जब चुनाव के समय प्रत्याशी खोजने से नहीं मिलते थे। आज प्रत्याशी बनाने के लिए दौड़ लगी हुई है। एेसे-एेसे समाजसेवी और राजनीतिक टिकट की मांग कर रहे हैं, जो मेरी नजर में पार्षद बनाने के लायक भी नहीं है। एेसे व्यक्ति पहले इसका मूल्य समझे और उसके बाद किसी भी पार्टी से टिकट की मांग करें। सभी को यह समझना होगा कि यह एक संवैधानिक पद है। कोई भी फैसला लेने से पहले प्रत्याशी और वोटर को सोच-समझ कर निर्णय लेना चाहिए।
(कवि एवं मंच संचालक लक्ष्मीनारायण लाहोटी के विचार)