जीत की सबसे बड़ी सीढ़ी
एक समय था, जब राजनीतिक दल चुनाव के समय पुरुषों को ध्यान में रखकर सामग्रियों का वितरण करते थे, लेकिन आज परिस्थितियां बदल गई है। अधिकांश राजनीतिक दल महिलाओं को ही अपनी जीत की सबसे बड़ी सीढ़ी मानते हैं। शायद यही वजह है कि अब सरकार में महिलाओं को ध्यान में रखकर विशेष योजनाएं बनती है। साथ ही चुनाव के समय महिलाओं को भी सामग्रियों का वितरण का उन्हें लुभाने की कोशिश की जाती है।
इन सीटों में नहीं थी एक भी महिला
मनेन्द्रगढ़, बैकुंठपुर, लुण्ड्रा, कुनकुरी, पत्थलगांव, धरमजयगढ़, कोरबा, लोरमी, बेलतरा, जांजगीर-चांपा, बिलाईगढ़, कसडोल, रायपुर ग्रामीण, रायपुर पश्चिम, अभनपुर, धमतरी, संजारी बालोद, साजा, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगांव, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, केशकाल, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, कोंटा।
वोट देने में आगे, नेतृत्व में पीछे
चुनाव को लेकर महिलाओं में तेजी से जागरूकता बढ़ी है। पिछले चुनाव पर नजर डाले तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने 0.39 फीसदी अधिक मतदान किया था। यह वोट प्रतिशत का अंतर सरकार बनाने और बिगडऩे में सबसे अहम भूमिका निभा सकता है। इसके बावजूद पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 14 और भाजपा ने 11 महिलाओं को ही टिकट दिया था।
पुरुषों के साथ से सीधा मुकाबला
2013 के विधानसभा चुनाव जीतकर आईं महिला विधायकों का सीधा मुकाबला पुरुषों के साथ ही रहा। इसके बावजूद महिलाओं ने कांटे की टक्कर दी है। इस मामले में दुर्ग विधानसभा की सीट अपवाद रही है। यहां भाजपा की रमशीला साहू और कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर के बीच सीधा मुकाबला हुआ था।
रायपुर दक्षिण से सर्वाधिक 5 उम्मीदवार
बीते विधानसभा चुनाव की बात करें, तो रायपुर दक्षिण विधानसभा ऐसी सीट है, जहां सर्वाधिक पांच महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इसके बाद मोहला-मानपुर, दुर्ग ग्रामीण और सारंगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 4-4 और प्रतापपुर, मरवाही व समरी में 3-3 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरी थी।
भरतपुर-सोनहट विधानसभा
चंपा देवी पावले
लैलूंगा विधानसभा
सुनीती सत्यानंद राठिया
सारंगढ़ विधानसभा
केराबाई मनहर
कोटा विधानसभा
डॉ. रेणु जोगी
बसना विधानसभा
रूपकुमारी चौधरी
डौंडीलोहारा विधानसभा
अनिला भेडिय़ा
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा
रमशीला साहू
डोंगरगढ़ विधानसभा
सरोजनी बंजारे
मोहला विधानसभा
तेजकुंवर गोवर्धन नेताम
दन्तेवाड़ा विधानसभा
देवती कर्मा