इस वजह से थी यह व्यवस्था
आजादी के बाद हुए चुनाव में आरक्षित वर्ग के लोगों को राजनीति में प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से यह व्यवस्था लागू की गई थी। जिन विधानसभा क्षेत्रों में दोहरे प्रत्याशी निर्वाचित होने की व्यवस्था दी गई थी, उसका आधार मतदाताओं की बहुलता और आरक्षित होने की पात्रता पर निर्भर करता था।
दोहरे विधानसभा सदस्य वाली सीटें
बेमेतरा : शिवलाल, लक्ष्मण प्रसाद
भिलाई : गोविंद सिंह, उदयराम
डोंगरगढ़ : भूतनाथ, विजय लाल
जगदलपुर : महाराजा प्रवीरचंद्र देव, देरहाप्रसाद
कांकेर : प्रतिभा देवी, बिश्राम
आरंग : लखनलाल गुप्ता, जगमोहन दास
धमतरी : झीटकू, पुरुषोत्तम दास
बिन्द्रानवागढ़ : श्यामा कुमार, पंडित श्यामाचरण शुक्ला
महासमुंद : नेमीचंद, बाजीराव मिरी
भटगांव : जितेन्द्र विजय बहादुर, मूलचंद
बलौदबाजार : बृजलाल, नैनदास
मुंगेली : रामलाल, अंबिका साव
मस्तूरी : बशीर अहमद, गणेश राम
कोटा : काशीराम तिवारी, सूरजकुमार
कटघोरा : राजा ललित कुमार, गौरीशंकर शास्त्री
जशपुर : राजा बिजयभूषण सिंहदेव, जोहन
पाल : भंडाारी, कपिलदेव नारायण सिंह
अंबिकापुर : बृजभूषण, प्रीतम कुर्रे
सुरायपुर : महादेव सिंह, धीरेन्द्र नाथ शर्मा
मनेन्द्रगढ़ : रघुवर सिंह, ब्रजेन्द्र लाल