90 के दशक से बढ़ा रुझान
चुनाव में महिलाओं का दखल 90 के दशक के बाद अधिक बढ़ा। इस दौरान पहली बाद महिला उम्मीदवारों ने सैकड़ा का आंकड़ा पार किया। 153 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी। हालांकि जीत केवल 11 महिलाओं को ही मिली थी, लेकिन 1985 के चुनाव में विधानसभा में पहुंचने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या भी सबसे अधिक रही। उस चुनाव में 31 महिलाएं विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थीं।
1972 किसी ने नहीं जीता चुनाव
महिला उम्मीदवारों के लिहाज से चुनावी आंकड़े हमेशा बढ़ते क्रम में दिखाई देते हैं, लेकिन 1972 का चुनाव महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा निराशाजनक रहा। इस चुनाव में 30 महिला उम्मीदवार अपना भाग्य अजमाने के लिए उतरी थी, लेकिन किसी के हिस्से में जीत नहीं आईं।
चालू विधानसभा में भी 10 विधायक
वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा में 10 महिला विधायक को प्रतिनिधित्व मिला हुआ है। इनमें से 6 भाजपा और 4 कांग्रेस की विधायक शामिल हैं। महिला विधायकों में भरतपुर-सोनहट से चंपा देवी पावले, लैलूंगा स सुनीती सत्यानंद राठिया, सारंगढ़ से केराबाई मनहर, कोटा से डॉ. रेणु जोगी, बसना से रूपकुमारी चौधरी, डौंडीलोहारा से अनिला भेडिया, दुर्ग ग्रामीण से रमशिला साहू, डोंगरगढ़ से सरोजनी बंजारे, मोहला-मानपुर से तेजकुंवर गोवर्धन नेताम और दन्तेवाड़ा से देवती कर्मा शामिल हैं।
सीपी एंड बरार के चुनाव में कोई महिला नहीं
भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक आजादी के बाद 1951 में हुए सेंट्रल प्राविंस एंड बरार विधानसभा के लिए हुए चुनाव इस मामले में रोचक रहे। 184 विधानसभा सीटों पर 1118 उम्मीदवार उतरे। इसमें कोई भी महिला नहीं थी। उस चुनाव में 45.11 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
हमारी महिला विधायक
आजादी के बाद हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों ने भी अपना भाग्य आजमाया था। अविभाजीत मध्य प्रदेश में कुल 36 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इनमें से 15 ने अपने प्रतिद्वंदी को हराकर अपना चुनाव जीता था। जिस हिस्से से आज छत्तीसगढ़ की विधानसभा बनती है, उसमें महिला उम्मीदवारों जीत हासिल की थी। इनमें वीरेन्द्रनगर विधानसभा से पद्मावती देवी, डौंडी लोहारा विधानसभा से झमित कुंवर, चौकी विधानसभा से कनक कुमारी, कांकेर विधानसभा से प्रतिभा देवी और बिंद्रानवागढ़ से श्यामा कुमारी का नाम शामिल है। पद्मावती देवी के खिलाफ कोई उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतरा था।
विधानसभा चुनाव में महिलाओं की स्थिति