गैलरी 2 : यहां आदिवासी महिलाओं के आभूषण और श्रृंगार के सामान प्रदर्शित किए जाएंगे।
गैलरी 3 : घरेलू सामान और दैनिक उपयोग की सभी चीजें यहां प्रदर्शित की जाएंगी।
गैलरी 4 : यहां आदिवासी लोगों द्वारा कृषि कार्य में इस्तेमाल होने वाले औजारों को मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।
गैलरी 5 : यहां जनजातियों में प्रचलित स्थानांतरण कृषि से संबंधित आदिम कृषि पद्धतियों को प्रदर्शित किया जाएगा जैसे झूम, डहिया, बेवरा, पेंदा आदि।
गैलरी 6 : पशुओं, पक्षियों, मछलियों आदि के शिकार में उपयोग किए जाने वाले हथियार एवं पारंपरिक औजार यहां रखे जाएंगे।
गैलरी 7 : धार्मिक आस्था के तहत जनजातियों में प्रचलित प्राकृतिक देवी-देवताओं, गोत्र देव, डूमापितर और देवगुड़ी, सरना स्थल आदि का प्रदर्शन यहां होगा।
गैलरी 8 : राज्य की मुरिया जनजाति में प्रचलित औपचारिक शिक्षा का केंद्र घोटुल नामक संस्था के मुरिया समुदाय की स्वनिर्मित प्रदर्शनी यहां देखने को मिलेगी।
गैलरी 9 : विभिन्न लोक कलाओं की प्रस्तुति के दौरान इस्तेमाल की गई मूर्तियों के साथ मांदर, किरकिच्चा, तुरही, डफली, ढोलक, बांसुरी, एकतारा, टिमकी आदि जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन यहां होगा।
गैलरी 10 : जीवन संस्कार के तहत यहां विवाह परंपरा का दृश्य तैयार किया जाएगा। मूर्तियों के माध्यम से मंडप, विवाह संस्कार, रीति-रिवाज आदि दिखाए जाएंगे।
गैलरी 11 : पारंपरिक तकनीकों के तहत इस गैलरी में महुआ, कत्था, बांस, हड़िया, रस्सी आदि बनाने का प्रदर्शन किया जाएगा।
गैलरी 12 : यहां फोटो प्रदर्शनी लगेगी। राज्य की सभी जनजातियों की जीवन शैली, संस्कृति और विकास से संबंधित कई पुरानी दुर्लभ तस्वीरें और नई तस्वीरें प्रदर्शित की जाएंगी।
गैलरी 13 : यहां आपको आदिवासी वीरों और आदिवासी साहित्य की झलक देखने को मिलेगी क्योंकि यहां प्रसिद्ध आदिवासी नायकों के जीवन पर आधारित सूचना, फोटो, आदिवासी साहित्य और शोध पत्र प्रदर्शित किए जाएंगे।
गैलरी 14 : आदिवासी कार्यशाला नाम की इस गैलरी में आदिवासी कलाकारों को आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने के लिए मंच दिया जाएगा. यहां कलाकार चित्र, टैटू, नृत्य, गीत और संगीत पेश कर सकेंगे।
गैलरी 15 : यहां एक ऑडियो विजुअल थियेटर होगा। आदिवासी परंपरा, जीवन शैली और विकास पर एक लघु फिल्म और डॉक्यूमेंट्री यहां प्रदर्शित की जाएगी।
यह होंगे संग्रहालय के अन्य आकर्षण
– बस्तर की जीवंत महापाषाणीय संस्कृति भूतल के मध्य खुले स्थान के मध्य में प्रदर्शित किए जाएंगे।
– आदिवासी गांव तैयार कर उसमें पहाड़ से बहने वाली नदी, देवी-देवताओं के स्थान, आदिवासियों के कुछ आवास आदि प्रदर्शित किए जाएंगे।
– भुंजिया जनजाति में प्रचलित लाल बंगले देवगुड़ी और संग्रहालय भवन के बाहर विशेष पिछड़ी जनजातियों का निवास भी बनाया जाएगा।
– संग्रहालय दीर्घा के बाहर गलियारों में भित्ति चित्र, आदिवासी कला, संस्कृति को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के अन्य संग्रहालय जो देखने लायक है
1. पुरखौती मुक्तांगन संग्रहालय
यह संग्रहालय 18 हेक्टेयर में फैला है और पूरे छत्तीसगढ़ को एक थीम पार्क में दर्शाता है। समय के साथ इसे एक आकर्षक लाइव मॉडल पर्यटन केंद्र में बदल दिया गया है जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपरा को प्रदर्शित करता है। यह रायपुर स्टेशन से इक्कीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
2. महंत घासीदास संग्रहालय
महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर शहर में स्थित है। पुरातत्व, नृविज्ञान और प्राकृतिक इतिहास की विभिन्न प्रकार की वस्तुएं यहां संरक्षित की गई हैं। संग्रहालय में शिलालेख, हथियार, प्राचीन सिक्के, नक्काशी, बौद्ध कांस्य जैसे अमूल्य संग्रह शामिल हैं। यह मध्य भारत के प्रमुख संग्रहालयों में से एक है।
3. DKNS मेमोरियल जियोलॉजिकल म्यूजियम
DKNS मेमोरियल जियोलॉजिकल म्यूजियम रामकुंड, रायपुर में स्थित है। यहां जियोलॉजिकल तत्व जैसे पत्थर की किस्में आदि का दर्शन सकते हैं। भौगोलिक जिज्ञासा रखने वालों के लिए यह सबसे अच्छी जगह है।
4. माहाकौशल आर्ट गैलरी
रायपुर में स्थित यह गैलरी स्थानीय लोगों की कलाकृतियों को बहुत खूबसूरती से प्रदर्शित करती है। आर्ट गैलरी देखने का शौक रखने वाले लोगों के लिए ये जगह बिलकुल ठीक है।