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Chaitra Navratri 2021: नवरात्र के चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा की आराधना, जानिए पूजा विधि और बीज मंत्र

locationरायपुरPublished: Apr 16, 2021 08:47:49 am

Submitted by:

Ashish Gupta

Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्र का आज चौथा दिन है। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन शुक्रवार को मां दुर्गा के मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है।

4th Day Of Navratri 2020 Maa Kushmanda Puja Vidhi

4th Day Of Navratri 2020 Maa Kushmanda Puja Vidhi

रायपुर. चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2021 ) का आज चौथा दिन है। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन शुक्रवार को मां दुर्गा के मां कूष्मांडा (Maa Kushmanda) स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। मां की आठ भुजाएं होने के कारण अष्ट भुजा वाली मां भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा हुआ कलश, चक्र और गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला होती है। माता का वाहन शेर है और इनका निवास स्थान सूर्य मंडल के भीतर माना जाता है। कहते हैं सूर्य लोक में निवास करने के क्षमता किसी में है तो वे मां कूष्मांडा में ही है।

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साथ ही माना जाता है कि देवी कूष्मांडा सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा भी प्रदान करती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार संस्कृत में कूष्मांड को कुम्हड़ा कहा जाता है। कुम्हड़ा यानि कद्दू या पेठा। कुम्हड़े की तुलना ब्रह्मण्ड से की गई है। कहा जाता है कुम्हड़े के बीच में जो खाली स्थान होता है इसके चारों तरफ एक आवरण होता है देवी इसी आवरण में निवास करती हैं जिस तरह ब्रम्हांड में मध्य में निवास करती हैं। देवी वहां रहकर सभी जीवों का संरक्षण भी करती हैं। इसलिए मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। आज के दिन मां कूष्मांडा की आराधना करने वाले लोगों को कुम्हड़े की बलि देनी चाहिए या कुम्हड़े से बना पेठा का भोग लगाना चाहिए।
मां कूष्मांडा की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग दोष दूर हो जाते हैं। किसी तरह क्लेष भी जीवन में नहीं रहता है। जो भी भक्त आज के दिन मां कूष्मांडा की कुछ नियम के साथ पूजा कर लेता है उसको उसके द्वारा किए गए पूजा का फल मिल सकता है।

मां कूष्मांडा का बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:।

मां कूष्मांडा का पूजा मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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पूजा विधि
रोज की भांति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें। इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है। ऊं कूष्माण्डायै नम: मंत्र का जाप करें। देवी को हरी इलायची अवश्य अर्पित करें। इसके साथ ही देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, मालपुए का भोग चढ़ाएं। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए। पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।

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