वनवास के दौरान तुरतुरिया में लव-कुश का भी जन्म हुआ था। प्राचीन कल में चैत्र और कुंवर नवरात्रि में यहां पर मनोकामना ज्योति भक्तों के द्वारा प्रज्वलित की जाती है। इस स्थान को मातागढ़ के नाम से भी जाना जाता है। यहां पहाड़ के ऊपर एक मंदिर में काली माता के साथ देवी सीता की भी प्रतिमा स्थापित है जहां तेल ज्योति कलश 1066 व घृत ज्योति कलश 126 प्रज्वलित किया गया है।