आजादी के पहले रायगढ़ एक स्वतंत्र रियासत था, जहां सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों का फैलाव बड़े पैमाने पर था। प्रसिद्ध संगीतज्ञ कुमार गन्धर्व और हिन्दी के पहले छायावादी कवि मधुकर पांडेय रायगढ़ से ही थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से जब रियासतों के भारत में विलीनीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई तो रायगढ़ के राजा चक्रधर विलीनीकरण के सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजा थे।
Read Also: अगर आप भी दे रहे हैं बैंक PO एक्जाम तो इन चार टॉपिक की तैयारी से मजबूत होगी English पर पकड़, कैसे यहां पढ़ें राजा चक्रधर एक कुशल तबला वादक थे एवं संगीत तथा नृत्य में भी निपुण थे। उनके प्रयासों और प्रोत्साहन के फलस्वरूप ही यहां संगीत तथा नृत्य की नई शैली विकसित हुई। स्वतंत्रता पूर्व से ही गणेशोत्सव के समय यहां सांस्कृतिक आयोजन की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई, जिसने धीरे-धीरे एक बड़े आयोजन का रूप ले लिया।
Read Also: विघ्नहर्ता की पूजा में शामिल करें ये पांच चीजें, दूर होंगे सभी कष्ट, बरसेगी बप्पा की कृपा यह आयोजन इतना वृहद था कि राजा चक्रधर जी के देहावसान के बाद उनकी याद में चक्रधर समारोह के नाम से यहां के संस्कृतिकर्मियों तथा कलासाधकों ने वर्ष 1985 से दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत की जिसके माध्यम से देश के सांस्कृतिक मानचित्र में छत्तीसगढ़ को स्थापित करने में बड़ी मदद मिली।