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सुराजी बीर अनंतराम बरछिहा

locationरायपुरPublished: Aug 21, 2018 08:29:11 pm

Submitted by:

Gulal Verma

सुरता म

cg news

सुराजी बीर अनंतराम बरछिहा

देस ल सुराज देवाय खातिर जेमन अपन जम्मो जिनिस ल अरपन कर देइन, वोमन म अनंतराम बरछिहा के नांव आगू के डांड़ म गिनाथे। वोमन सुराज के लड़ई म जतका योगदान देइन, वोतकेच ऊंच-नीच, छुआ-छूत, दान-दहेज आदि के निवारन खातिर घलो देइन। ऐकरे सेती एक बेरा अइसे घलो आइस के अनंतरामजी ल अपन जाति-समाज ले अलग रहे बर लागिस। अछूतोद्धार के कारज खातिर गांधीजी ह छत्तीसगढिय़ा गांधी के नांव ले विख्यात पं. सुंदरलाल सरमा के संगे-संग जम्मो छत्तीसगढ़ ल अपन गुरु मानिन त ऐमा अनंतराम बरछिहा जइसनमन के घलो योगदान हवय।
अनंतराम बरछिहा के जनम रायपुर ले करीब 24 किलोमीटर दूरिहा म बसे गांव चंदखुरी म 28 अगस्त बछर 1890 म होय रिहिसे। उंकर दाई के नांव यसोदा बाई अउ ददा के नांव हिंछाराम रिहिसे। अनंतरामजी के लइकई उमर के नांव नंदा रिहिसे। हिंछाराम 15 एकड़ खेती के जोतनदार रिहिन। बाबू नंदा ल चौथी कक्छा के बाद अपन पढ़ई ल छोड़े बर परगे। वोहा नांगर-बक्खर अउ खेती-किसानी म भिडग़े। इही बीच उंकर सियान सरग के रस्ता चल देइन। अब अतेक बड़ परिवार के जोखा-सरेखा नंदा के खांध म आ गे। तेमा अकाल-दुकाल के मार। वोहा खेती के संगे-संग छोटकुन दुकान घलो चालू करीस। तीर-तखार के गांवमन म कांवर म समान धरके जावय। वोकर मेहनत अउ ईमानदारी ह रंग लाइस। देखते-देखत वो बड़का बैपारी के रूप म अपन चिन्हारी बना डारिस।
बछर 1920 म जब गांधीजी रायपुर आइन त उंकर दरस करे के साध करके बरछिहाजी रायपुर आइन अउ गांधीजी के वानी ल सुन के वोकर अनुयायी बनगें। वो बेरा ह स्वतंत्रतासंगराम के बेरा रिहिसे। छत्तीसगढ़ अंचल ह स्वतंत्रता आंदोलन के लहर चलत रहिस। अइसन म बरछिहाजी भला कहां पाछू रहितीन। उहूमन अपन दुकानदारी के जम्मो काम-काज ल अपन छोटे भाई सुखराम बरछिहा के खांध म सौंप के रास्टरीय आंदोलन म कूद गें।
बछर 1923 म नागपुर म झंडा सत्यागरह चालू होइस। वो सत्यागरह म भाग लेके छह महीना के सजा काट आइस। वोकर ऐहा पहली जेल यातरा रिहिसे। वोकर बाद तो उन घर-बार ल छोड़ के गांव-गांव म अलख जगाये लागिन। ऐकर सेती उनला बछर 1930 म एक पइत फेर एक बछर के सजा होइस। बछर 1930 के आंदोलन के केंदर चंदखुरी गांव ह बनगे रिहिसे। जेकर परसिद्धि देसभर म होय रिहिसे। वो गांव के मन अनंतराम बरछिहा के अगुवई म असहयोग आंदोलन म बड़का भूमिका निभाए रिहिन हें।
चंदखुरी ह वो बखत रास्टरीय आंदोलन के गढ़ बनगे रिहिसे। तेकर सेती अंगरेजी सासन ह एक बटालियन पुलिस उहां तैनात कर दे गइस। फेर वो पुलिस वालामन के गुजारा होतिस कइसे? पुलिस वालेमन ला मांगे म कोनो आगी-पानी तक नइ देवत रिहिन हें। जिला कप्तान चंदखुरी पहुंचीस अउ उहां के लोगन ल समझाय-बुझाय के उदिम करिस। बरछिहाजी के दुकान ले सामान लेय बर चाहिस। उंकर जगा संदेस भेजवाइस। जेकर जुवाब मिलिस- ‘आप हमर इहां पहुना बनके आहू त आपके सुवागत हे, फेर कहूं सरकारी अधिकारी बनके आहू, त आपला हमर असहयोग हे। ये जुवाब ले अधिकारी चिढग़े अउ पूरा गांव म कहर मचा देइस। अनंतराम बरछिहा के संगे-संग गांव के अउ सात झनला गिरफ्तार करके जेल भेज देइन। गिरफ्तार लोगन म रिहिन हें- बरछिहाजी के छोटे भाई सुखराम, बरछिहाजी के बड़े बेटा वीर सिंह, नन्हे लाल वरमा, गनपतराव मरेठा, हजारीलाल वरमा, नाथूराम साहू अउ हीरालाल साहू। बरछिहाजी के लाखों रुपिया के संपति नष्ट होगे, जेकर निसानी ल आजो देखे जा सकथे। बरछिहाजी के संग ये सिलसिला बछर 1942 तक सरलग चलीस।
वोमन अपन गांव म जाति भेदभाव, छुआछूत ले पीडि़त लोगन ल सामाजिक अधिकार देवाय खातिर आंदोलन चलाइन। गांव के वातावरन तो उंकर अनुकुल होगे। फेर, वोकर खुद के समाज के मुखियामन वोकर परिवार ल अपन जाति ले बाहिर कर दीन। बरछिहाजी म संघरससीलता के संगे-संग परसासनिक छमता घलो रिहिस हे। वोहा कई बछर ल तहसील कांगरेज के अध्यछ। बछर 1937 म अपन अंचल ले विधायक घलो बनीन। उन जब तक जीइन दीया बनके जीइन। लोगन बर अंजोर करीन। छत्तीसगढ़ महतारी के ये सपूत ह अपन पूरा जीवन ल देस खातिर समरपित कर देइस। 22 अगस्त बछर 1952 के उन ये नस्वर दुनिया ले बिदा ले लेइन।

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