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बइला के पीरा

locationरायपुरPublished: Jun 26, 2018 06:39:11 pm

Submitted by:

Gulal Verma

कहिनी

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बइला के पीरा

भगवान संकर के सवारी नंदी बइला के पूजा सबोझन करथें। भगवान ला खुस करे बर पहिली नंदी ला पूजथें। मंय बइला अब्बड खुस रहेव के मेहा नंदी के वंसज आंव, तव कलयुग म मोर पूजा भले नइ होही फेर दाना-पानी तो बने मिलही। छत्तीसगढ़ म पोरा के दिन बइला के पूजा करथें। गांव के कोठा म हमुमन जगा पात रेहेन। मालिक बने दाना-पानी, पैरा-भूसी हमन ला देवय। तरिया-नदिया म नहवावंय। मालिक के अतेक सेवा के करजा ला हमन नांगर चला के छुटन अउ मालिक थके हारे बइला के तेल लगा के मालिस तको करय।
फेर, जइसे-जइसे बिकास होत गिस। खेती म घलो नवां-नवां साधन आ गिस। गांव के दइहान ले सब गाय, बइला, भइंस-भइंसा अपन-अपन घर कोती जात रहेन तब मोर गोड़ ठिठक गे। सरपंच ह बतात रहिस – सहर ले टेक्टर लानहूं अउ खेत ह जल्दी-जल्दी जोता जही, फेर बइलामन के का काम। मोला अइसे लगिस कान म कोनो तात-तात तेल डाल दिस। कोठा म आय के बाद चुपचाप अपन जगा म बइठ गेंव फेर आंखी के कोरा म आंसू देख के सबो गाय, भैंस अउ मोर जोड़ीदार मोती ह पूछे लागिस का होगे हीरा? बने नइ लगत हे का? कइसे रोत हस?
का बतातेंव अपन दुख ल। फेर दु:ख बांटे ले कम होते कहिथें, तव महु कहेंव -भइगे मोती हमन के दाना-पानी अब बंद हो जही लागथे। किसान ह टेक्टर लानही फेर हमन ल निकाल दिहीं। कहां जाबो मोती? बात ह आए-गेे होगे। एक महीना के गे ले, मालिक के दुवारी म नवा टेक्टर खड़ा होगिस। एक दिन दूसर गांव के किसान ह अइस अउ मालिक हीरा-मोती के नांद ले गेरूवा खोल के वोकर हाथ म दे दिस। हीरा-मोतीमन अपन गोड़ ला बांध लिन, मालिक कहुं हमर भाखा समझतिस तव हमर पीरा ल जानतिस। दूनों आंखी म पानी डबडबागिस अउ कहत-रहिन मालिक तैं अपन अंगना के खुंटी म हमन ल बंधे रहन दे, दाना-पानी घलो झन दे फेर अपन दुवारी ले हमन ल बिदा झन कर।
नवां गांव म नवां किसान ह हीरा-मोती ल चरे बर छोड़ देत रहिस। वोमन सब गाय भइंसी से मिलत- मिलत म नवां बात पता चलिस के गांव के सब किसान बइलामन ल बेचत हें। खेती किसानी के काम ल टेक्टर ले करहीं। हीरा-मोती मन म पथरा रख के सच ला स्वीकार लिन। वोमन के देखते-देखत गांव ह एकदम बदल गे। अब कोठा म गाय अउ भइंसीभर बंधाय रहेय। वहू दूध देत ले तहां तो कोठा म गाय अउ भइंस के का काम! कोनो-कोनो जगा तो कसई ल बेचे के खबर घलो मिलय।
बइला-भइंसा के पीरा ल सुनइया कोनो नइ रहिन। मोटर-गाड़ी के आवाज म वोमन के रंभाय के आवाज ह धीरे-धीरे दब गे। हमुमन परिस्थिति ले समझौता करे बर जान डरेन। जुठा-काठा, मैला जेन मिलही तेन ल खा के जिये बर परही। मनखे तो अपन सुख बर दाई-ददा ल धोखा देथें। फेर, हमन तो जानवर आन। हमर एक बात ल मनखे गांठ बांध लंय। एक दिन परदूसन के जहर ले खेती-किसानी, फसल, गांव बरबाद हो जही। तब हमन ल सुरता करहीं। फेर, हमन रहिबोन ते नदा जबोन, भगवान जानही।
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