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छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची में सामिल करे बर चाही

locationरायपुरPublished: Nov 28, 2022 04:44:57 pm

Submitted by:

Gulal Verma

छत्तीसगढ़ी ल गरीब अउ अनपढ़ के भासा नइ मानना चाही। आज ऐकर विस्तार होगे हे । छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े आफिस, मंत्रालय, कालेज, स्कूल म तको छत्तीसगढ़ी म गोठियाथें। विधानसभा-संसद म घलो छत्तीसगढ़ी के गुंज सुनई देथे।

छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची में सामिल करे बर चाही

छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची में सामिल करे बर चाही

छत्तीसगढ़ बरसों के मेहनत अउ कोसिस ले 1 नवम्बर 2000 के दिन भारत के 26वां राज बनिस। छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद 28 नबम्बर 2007 के छत्तीसगढ़ विधानसभा ह एकमत ले छत्तीसगढ़ राजभासा (संसोधन) विधेयक 2007 ल पारित करिच अउ हिंदी के अकतहा छत्तीसगढ़ी तको ल सरकारी कामबुता के भासा के रूप म मान्यता दे दिस। तेकर सेती हर बछर 28 नवम्बर के दिन ‘छत्तीसगढ़ी दिवस’ के रूप मनाय जाथे। अगस्त 2008 के छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग के गठन होइस अउ 14 अगस्त 2008 के आयोग के पहिली कारोबारी बइठक चालू होइस। ऐकरे सेती ए दिन छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग डहर ले ‘कारयालय इस्थापना दिवस’ के रूप म मनाय जाथे।
छत्तीसगढ़ राजभासा आयोग गठन करे के पाछू परमुख उद्देस्य हे- राजभासा ल संविधान के आठवीं अनुसूची म दरजा देवाना, छत्तीसगढ़ी भासा ल राजकाज के भासा के रूप म बऊरे बर लाना, त्रिभासायी भासा के रूप म पराथमिक अउ माध्यमिक कक्छामन म पाठ्यकरम म सामिल करना। फेर, अभु तक छत्तीसगढ़ी ल भारतीय भासा मन के आठवीं अनुसूची म मिलाय नइ हे।
छत्तीसगढ़ी ल उत्ती (पूरवी) हिंदी के समर्थ विभासा माने गे हे, जेकर दू बहिनी अवधी अउ बघेली हरे। बड़ दिन पहिली छत्तीसगढ़ ल ‘दक्छिन कोसल’ के नाव ले जाने जात रहिस अउ इहां जउन भासा गोठियाय तउन ल कोसली कहत रहिन। तेकरे सेती छत्तीसगढ़ के जुन्ना भासा ‘कोसली’ ल माने जाथे। काकतीय वंस के राजा हरपाल देव ह नवरंगपुर छेत्र के विजय अभियान के सुरता म दंतेस्वरी मंदिर म 31 मार्च 1702 म सिलालेख लिखवाइन, जेमा छत्तीसगढ़ी भासा के परयोग गद्य के रूप म होय हे।
अतीत ले ही छत्तीसगढ़ अलग-अलग संस्करीति के संगमस्थली रहिन हे। तेकरे बर इहां अलग-अलग धरम, जाति, भासा-बोलीमन संगे-संग चलत हे। छत्तीसगढ़ के भासा विविधता के सेती छत्तीसगढ़ ल ‘लघुभारत’ कहे जाथे। जिहां अभी 93 बोली चिन्हे गे हे।
छत्तीसगढ़ी सरल अउ गुरतुर बोली आय। जेला छत्तीसगढ़ के सब्बो छेत्र म बोले जाथे। छत्तीसगढ़ के सात पड़ोसी राज्य म तको ऐकर परभाव हे। बालाघाट मंडला (मध्य परदेस), नागपुर, धमधी, भंडारा (महारास्टर) छोट ानागपुर (झारखंड), संबलपुर (ओडिसा) म बसे छत्तीसगढिय़ामन ह घलो छत्तीसगढ़ी बेवहार के रूप म बऊरथें। छत्तीसगढ़ी बिखर, उजड़ रूप म असम के चाय के बागान, अफ्रीका के सोना के खदान म तको पाय जाथे।
छत्तीसगढ़ म 33 जिला हे अउ ए सब्बो जिला म कोनो न कोनो रूप म छत्तीसगढ़ी भासा गोठियाय जाथे। जेन म जांजगीर चांपा के तीर तखार के छेत्र म बोलइया छत्तीसगढ़ी ल सबले जादा सम्पन्न माने गे हे। अलग-अलग छेत्र म छत्तीसगढ़ी म थोर-थोर अंतर जरूर देखें बर मिलथे। ऐकरे सेती छत्तीसगढ़ी के मानकीकरन जरूरी हे।
छत्तीसगढ़ी के मानकीकरन ले मतलब एकठेन हे। छत्तीसगढ़ी ल सब्बोझन एके ढंग ले पढ़ी, बोलही अउ लिखही। ऐमा सबले जादा जरूरी हे छत्तीसगढ़ी ल जम्मोझन एके ढंग ले लिखंय। छत्तीसगढ़ी म देवनागरी लिपि के जम्मो 52 अक्छर सामिल होना चाही। छत्तीसगढ़ी भासा ल आगू बढ़ाय के खातिर राजभासा आयोग ह अपन कोति ले कतकोन योजना घलो चलाइच। छत्तीसगढ़ के वरिस्ठ साहित्यकारमन ल उंकर छत्तीसगढ़ी साहित्य के सेवा बर ‘छत्तीसगढ़ी राजभासा आयोग सम्मान’ दे जाथे। छत्तीसगढ़ी संस्करीति ल बढ़ाय के बुता छत्तीसगढ़ के सरकार ह करत हे। तेकरे सेती छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया ह छत्तीसगढ़ी ल संविधान के आठवीं अनुसूची म संघारे बर परधानमंतरीजी ल 13 अगस्त 2020 के चि_ी पाती भेजिन हे। अब तो छत्तीसगढ़ सरकार ह इसकूलमन म हप्ता म एक दिन छत्तीसगढ़ी भाखा म सिक्छा दे बर घलो कहे हे। जेकर ले लइकामन हप्ता म एक दिन पूरा छत्तीसगढ़ी भाखा म सिक्छा लेथे।
छत्तीसगढ़ी भासा के विकास म छत्तीसगढिय़ा साहित्यकार, रचनाकारमन के सबले जादा योगदान हे। 1885 म धमतरी के हीरालाल काव्योपाध्याय ह छत्तीसगढ़ी बोली के पहिली बियाकरन के रचना करे रिहिन।
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