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माटी के भाग जगइया परेमचंद

locationरायपुरPublished: Jul 31, 2018 08:54:28 pm

Submitted by:

Gulal Verma

सुरता म

cg news

माटी के भाग जगइया परेमचंद

दु नियाभर म मुंसी परेमचंद के नाव के डंका बाजत हे। 31 जुलाई के दिन परेमचंद ल लेखकमन सुरता करथें। पितर पाख म जइसे एकक दिन अलग-अलग पुरखामन आथें वोइसने 31 जुलाई के परेमचंद आथे।
छत्तीसगढ़ के मनखेमन परेमचंद के कहिनी, उपन्यास पढ़थें त वोमन ल लागथे के ऐहा हमरे कहिनी ए। घीसू, माधव, होरी, धनिया, सूरदास सब जगा मिलथें। परेमचंद ह उत्ती भारत के तस्वीर ल कागज म उतारिस, फेर बड़े लेखक के नजर बड़े रिहिस। संसारभर के सुख-दुख एकेच ताय। मनखे-मनखे एक समान। हमर छत्तीसगढ़ के संत गुरु बबा घासीदास किहिस-
‘मनखे-मनखे ला जान, सगा भाई के समानÓ।
उही बात ल सबो गुरु अउ गियानीमन अपन-अपन ढंग ले कहिथें। परेमचंद के कहिनी म किसान के जउन दसा रिहिस तउन ह आज सौ बछर बाद घलो जस के तस हे। देस अजाद होगे, तभो दसा नइ सुधरिस। दस बछर म देस म दस लाख किसान आपघात करके मरे हे। परेमचंद के उपन्यास ‘गोदानÓ म किसान हे होरी। होरी गांव के बने पोटहर किसान रिहिस तउन ह मजदूर होगे। खेत ल सूदखोरमन बिसा लीन। दाना-दाना बर होरी तरस गे। घर बिगड़े गे। वोकर बेटा गोबर रोजी मजूरी करे बर सहर चलदीस। उही दसा हे आजो किसान के।
छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे। इहां छत्तीसगढ़ राज माटी के भाग जगइया परेमचंदमाटी के भाग जगइया परेमचंदबने के बाद खेती-किसानी के रकबा कमती होगे। ढाई लाख एकड़ जमीन म किसानी बंद होगे। धान के रकबा डेढ़ लाख एकड़ कमती होगे। संत पवन दीवान लिखे हे-
‘सबो चीज महंगी होगे, छूटे चाहत परान, करलई हे भगवान बताओ,
कइसे करे किसान।Ó
खेती के जमीन म कारखाना लगत जातव हे। किसान जमीन बेच के हाथ-गोड़ सकेले घर बइठत जावत हे। परेमचंद के कहिनी ह आज सिरतोन लागथे। परेमचंद हिंदी के बड़े कथाकार ए। हमर गौरव हे के हिंदी के पहिली कहिनी छत्तीसगढ़ के पेंडरा गांव म लिखे गीस। वोला लिखिन माधवराव सपरे ह। उही ल हिंदी के पहिली कथाकार जाने जाथे। ‘टोकरीभर मिट्टीÓ कहिनी म सपरेजी ह छत्तीसगढ़ के डोकरी दाई के चतुराई, हिम्मत के बात लिखे हे। सत के मनइया छत्तीसगढ़ म सतवंतिन डोकरी दाई के कहिनी सपरेजी लिखिन। उमन गुरु कहइन। पंथी म गीत आथे-
‘सत के कहइया दुई चार ही गुरु हे हमार, अमरीत धार बोहाइ दे।Ó
सत के कहइया परेमचंद, सपरेजी जइसे दुई चार होय हे, जउन साहित्यकारमन के गुरु कहाथें। जइसे संसार म गुरु बाबा घासीदास के जय बोलाये जाथे वोइसने साहित्य के संसार म परेमचंद के जय बगरे हे।
दुखी-डंडी, मुरहा-पोटरा, पिछुवाय, परे-डरे, गिरे-हपटेमन के कथा-कहिनी लिखइया परेमचंद के कहिनी पंच-परमेस्वर म सच के जस गवइया सरपंच के कहिनी हे। आज समे बदल गे हे। बिन घूस के काम नइ बनय। दहेज परथा दिनोदिन बाढ़त हे। परेमचंद ह दहेज के बिरोध करिस। जात-पात भेद के बिरोध करिस। बड़े-छोटे के भेद ल गलत किहिस।
कतकोनझन लिखइया ये सौ बछर म अइन, फेर परेमचंद के पार नइ पइन। निरक्छर से लेके बड़े-बड़े विद्वानमन वोकर लिखे कहिनी ल पढ़थें अउ गुनथें। खेती, किसानी, अजादी के लड़ई, समाज सुधार, एकता सब के बात परेमचंद करिस। उरदू अउ हिंदी दूनों म परेमचंद लिखिस। छत्तीसगढ़ म हमर कतकोन लेखक हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी म एके संग सुग्घर ढंग ले लिखत हें। हमरो छत्तीसगढ़ म परेमचंद के परंपरा ल आघू बढ़इया लेखक हें।
गांधीजी के बात ल सुनके परेमचंद ह अपन नउकरी छोड़ दीस अउ साहित्य के माध्यम से गांधीजी के संग दीस। अजादी के लड़ई म अपन सब कुछ तियाग करइया परेमचंद आजो जिंदा हे। जउन देस अउ समाज बर जीथे, वोहा कभु नइ मरय। परेमचंद ल ये दुनिया ले गे ८२ बछर होगे। तब से हमन ल लागथे के परेमचंद हमरे संग हे। हमन ल रद्दा बतावत हे। परेमचंद लिखे हे – ‘साहित्य ह राजनीति के आघू मसाल लेके चलइया सच्चाई ए।Ó आज लेखकमन ह परेमचंद के बात के मरम ल समझना चाहत हें।
राजनीति के आघू मसाल लेके चले के उदिम करइया ह सच्चा लेखक ए। बड़े करेजा वालामन परेमचंद के रद्दा म चल पाथें। इही बात ल हमर छत्तीसगढ़ के जनकवि भगवती सेन ह लिखे हे-
‘चल समाल धर, लड़ अनीत संग
बस रंग-झांझर आज मचा दे
छत्तीसगढ़ के माटी के बेटा उठ
चल गांव के भाग जगा दे।Ó
जब माटी के बेटामन उठथें, तभे भाग जागथे, ये संदेस ल परेमचंद ह दीस।

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