भगती-भाव के महापरब सावन
रायपुरPublished: Jul 31, 2018 10:05:17 pm
संस्करीति
सावन भगती-भाव के महापरब आय। ए बेरा भगती ले जम्मो वातावरन सराबोर रहिथे। भगत चार परकार के होथें। आर्त, जिग्यासु, अवारथी अउ विग्यान निवास। भगती नव ठन होथे। सरवन, कीरतन, इसमरन, चरनसेवा, अरचन, वंदन, आत्म निवेदन, दासत्व अउ सत्य। सावन महीना म छत्तीसगढ़भर म रामचरित मानस के पठन अउ सरवन होथे। राम के परति छत्तीसगढिय़ामन के लगाव कूट-कूट के भराय हे।
सावन म भगवान सिव के उपासना करे जाथे। कहे जाथे के राम ह सिवजी ल ईस्वर मानथे, त सिव ह राम ल। सावनभर सिवभगतमन सिवपीठ म पानी चढ़ाय बर कांवर म पानी लेके खुल्ला पांव निकलथें। उपवास रहइयामन सोमवार के पूजा म सिरिफ तीन पत्ती वाले अखंडित बेलपत्ता चढ़ाथें। ए तीनों पाना ल मन, वचन अउ करम के परतीक माने जाथे। कनेर, धतुरा, फूड़हर, केसरइया, दूध, दही, घी, सहद, सक्कर, जल, गंजाजल, चंदन, सरसों तेल के उपयोग पूजन अउ अभिसेक म करे जाथे।
छत्तीसगढ़ म अड़बड़ अकन सिवपीठ हे। जिहां भगवान खुद धरती फोड़ के निकले हें त कोनो जघा भगतमन सिवलिंग के इस्थापना करे हें।
भगतमन हर-हर महादेव के जयघोस अउ बोलबम के उच्चारन करथें। जाप ह तीन किसम के होथे। पहिली वाचिक जाप, दूसर उपांसु जाप अउ तीसर मानसिक जाप। जोर-जोर से चिल्ला के भगवान के नांव जपई ह वाचिक जाप ए। उपांसु जाप म मुंह ले सबद निकलथे, फेर वोहा सुनई नइ देवय। मानसिक जाप म मनेमन म भगवान के सुमरन होथे।
राजिम म पंचमुखी कुलेस्वरनाथ महादेव, सोमेस्वरनाथ, गरीबनाथ, भूतेस्वरनाथ, दान-दानेस्वरनाथ, राज- राजेस्वरनाथ, पंचस्वरनाथ, बटुकेस्वरनाथ, बम्हनी म बम्हनेस्वरनाथ, फिंगेस्वर म फनिकेस्वरनाथ, कोपरा म कपूरिस्वरनाथ, लफंदी म औघडऩाथ, गरियाबंद म भूतेस्वरनाथ (भकूर्रा) महादेव, सिहावा म कर्नेस्वरनाथ महादेव, सिवरीनारायन म चंद्रचूड़ महादेव, रतनपुर म बूढ़ेस्वरनाथ महादेव, खरौद म लच्छेमनेस्वरनाथ महादेव, बिलासपुर म पातालेस्वरनाथ महादेव, आरंग म पीपेलेस्वर महादेव हावंय। ये जम्मो सिवपीठ म आके भगतमन सुख-सान्ति के अनुभव करथें।
पंचाच्छरी मंत्र ‘ऊं नम: सिवाय:Ó अभीस्ठ फल देवइया हे। वोइसने अउ मंत्र हे जेकर जाप भारी फायदा देथे- ‘ऊं त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्योर्मुक्षीय मातृतात। ए मंत्र अकाल मउत, दुरघटना आदि म जीवन परदान करथे।