बेलपाना के महत्ता
रायपुरPublished: Aug 07, 2018 08:09:11 pm
परब बिसेस
सावन म सिव पूजा के अब्बड़ महत्ता हे। सिव पूजा बर अउ कुछु राहय ते झन राहय एक लोटा पानी अउ एक ठन बेलपत्ता बहुत हे। भोलेनाथ अतके म परसन्न हो जथे। सिव पूजा म बेलपत्ता जरूरी माने गे हे। बेलपत्ता भर नइ, वोकर फर अउ रुख के महत्तम ल पुरानमन घलो बखानथे।
बेल के पत्ता एक संन तीन ठन होथे फेर पाच अउ सात पत्ता वाले बेल पत्ता ह तो दुरलभ रूप से पाए जाथे। रिसिवेद के सिरीसूक्त के अनुसार बेेल के रूख माता लछमी के तपोबल के परिनाम स्वरूप उत्पन्न होय हे। सिवपुरान म लिखाय हे कि देवी देवतामन ऐकर गुनगान करथें। तीनों लोक के तिरिथ के वास बेल के जर म बताय गे हे। बेल के जर ल भींजे देख के सिवजी परसन्न होथे कहिके बेल म पानी रितोये के महत्तम बहुतेच हे। बेल तरी सिव के पूजा करे से वोकर फल कतकोन गुना बाढ़ जथे। सब्बो तिरिथ म स्नान करे ले वोकर मिलथे। मरे ऊपर बेल के छांव परगे तब मरइया मुक्त होगे। घी अउ तसमई के संग भोजन कराएं से मनखे कभु दरिदर नइ होय। बेल के जर म दीया बरइया ह तत्वगियानी होथे।
बेल के रूख भारत समेत नेपाल, सिरीलंका, म्यामांर, पाकिस्तान, बांग्लादेस, वियतनाम, लाओस, कम्बोडिया अउ थाईलैंड म तको पाए जाथे। बेल के फूल हरियरपन ले हुए सादा अउ सुगंध सुग्घर मनभावन होथे। कच्चा बेल के फर हरियर रहिथे जउन पाके म सोनहा पिवरा हो जथे। ऐकर गुदा कसेल्हु मीठ रेसा से भरपूर होथे।
आयुरवेद म बेल के फर, पाना के अब्बड़ औसधिय महत्तम बताय हे। बेल रक्त सोधक, कैंसर से बचइया, लइकोरीमन के दूध बढ़इया, पाचक अउ सीतल फर हवय। पेचिस, दस्त, कब्ज़, गैस, बवासीर, अतिसार, आंव, अम्ल पित्त, मधुमेय, हिरदय रोग, आंत के रोग म बेल बहुतेच लाभदायक हे। कान के रोग म बेल के तेल के उपयोग करे जाथे। फोरा, फुंसी अउ बिच्छी, ततैया के डंक मारे म बेलपत्ता ल पीस के लेप लगाएं से आराम मिलथे। बेल म बहुत अकन पौस्टिक तत्व जइसे परोटिन, बिटामिन सी, बीटा कैरोटिन, थायमिन, राइबोफ्लेविन रहिथे। ऐकर रेसा आंत के सफई करथे। सियानमन ऐकर गुन ल देखके ऐहा पबरित पूजनीय माने हे। धरम ले जोड़े के सेती धरमॉ- करम करइयामन बेल के बिरवा लगाए म पुन पाथे अउ ये सहजता से मिल जथे।