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गरवा के होवत दुरदसा बर जिम्मेदार कोन?

locationरायपुरPublished: Aug 29, 2018 05:30:58 pm

Submitted by:

Gulal Verma

गौमांस बेचई ल बंद करे बर चाही

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गरवा के होवत दुरदसा बर जिम्मेदार कोन?

पहिली अइसे बइला बजार होवत रहिस जेमा कोनो किसान एक या दू मवेसी लेके आवय अउ तीर-तखार के गांव के कोनो दूसर किसान वोला बिसा लेवत रहिस। फेर, बइला बजार म कोचियामन के दबदबा होगे। वोकरमन के मुताबिक मोल-भाव, बेचई-बिसई सुरू होगिस। इहां तक तो बने रहिस। फेर, आजकाल जेन किसान नइये तेनोमन गाय-गरवा बेचई-बिसई के धंधा करे बर धर ले हें। अइसन मनखेमन कसाईमन ल गाय-गरवा बेच देथें। ऐकर वोमन ल कसाईमन से जादा पइसा मिलथे।
दूसर कोती मवेसीमन के भाव जादा होय के सेती खेती-किसानी करे बर छोटे किसानमन बइला-भइंसा बिसा नइ पावंय। अइसन म भला वोमन अपन थोरकिन खेत बर मसीन कइसे बिसा पाहीं? अइसन हालत के चलत जादाझन किसानमन दिवालिया हो जथें। वोमन बाढ़े महंगई के सेती करजा के जाल म फंस जथें। पसुधन से खेती-किसानी नइ करे के सेती किसानमन ल घाटा उठाय बर परथे। गाय-गरवा के मांस बेचई ल बंद कर देय बर चाही। ऐकर से मवेसीमन के दाम कम होही त छोटे किसान वोला बिसा सकत हें। ऐकर से गाय-गरवा के होवत दुरदसा घलो बांच सकथे।
गऊ के महत्तम ल नइ समझत हें
गा य ह सुद्ध साकाहारी हरे। गाय के दूध ह बहुत उपयोगी अउ गुनकारी होथे। ऐहा कतकोन किसम के बीमारी ले बचाथे। बइला ह खेती किसानी के काम आथे। गऊ माता के हर चीज ह उपयोगी होथे। गोबर से छेना बनाय जाथे। ऐकर पेसाब ल पीये ले सरीर सुवस्थ अउ निरोग रहिथे। बिग्यानिकमन माने हें कि गाय के घीव से हवन करे ले तीर-तखार के कीटानुमन मर जाथे अउ वातावरन ह सुद्ध हो जाथे।
आजकाल गाय पालन म कमी आवत हे। जइसे-जइसे मनखे तरक्की करत जावत हे, वइसे-वइसे पसुधन म कमी होवत जात हे। अब मनखेमन ह खेती- किसानी बर टेक्टर, हारवेसटर अउ दूसर यंत्र के उपयोग करे ल धर लेहें। सहरमन म तो गाय के बहुत जादा दुरदसा देखे बर मिलथे। कतको मनखेमन गाय-गरवा ल खुल्ला छोड़ दे रहिथें। तेकर सेती कतको गाय ह मोटरगाड़ी म दुरघटना के सिकार हो जथे अउ बेमौत मारे जाथे। ऐहा बहुत चिंता के बिसय हरे। गऊ माता के महत्तम ल फिर से समझे ल परही। गौवंस ल बढ़ाय अउ वोकर सुरक्छा बर अभियान चलाय बर परही।
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