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कुआं अउ तरिया के महत्तम

locationरायपुरPublished: Oct 09, 2018 07:35:55 pm

Submitted by:

Gulal Verma

धरोहर

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कुआं अउ तरिया के महत्तम

पहिली के सियानमन कहंय-बेटा! कुआं-तरिया म जलदेवती माता के निवास होथे रे। ऐमा कचरा-पथरा नइ डारंय, अबड़ पाप होथे। फेर, हमन नइ मानेन। जम्मो कुआं ल कचरा डार-डार के बराबर कर डारेन। तरिया ल तो भुइंया बना के कई मंजिल के बिल्डिंग तान देन। अब कुआं अउ तरिया के जघा ल हैंडपंप, मोटरपंप अउ स्वीमिंग पूल ह ले डारिस।
सावन-भादो के महीना म बादर ले अमरित बरसथे। ए जम्मो अमरित ल सियानमन कुआं अउ तरिया म भर के राखे राहंय। ए अमरित ले जम्मो मनखे, रूख-राई अउ गाय-गरवा, चिरई-चिरगुनभर के नइ, बल्कि धरती महतारी के घलो पियास बुझात रहिस हे। अब तो जम्मों जीव-जन्तु के संगे-संग धरती महतारी के जीव घलो त्राहि-त्राहि होगे हे। गरमी के मारे हिमालय के बरफ ह घलो कम होवत जाथे अउ समुदर के पानी ह बाढ़त जाथे। हमन बन ल उजार के फेर बन बना डारबो, कुआं के जघा म वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगवा डारबो, फेर नदिया सूखा जाही तब दूसर नदिया नइ बनाय सकन। समुदर म पूरा आही तब पार नइ बांधे सकन। धरती महतारी अउ जम्मो जीव-जन्तु के आत्मा ल तिरिप्त करे बर हमन ल फेर कुआं अउ तरिया बनाय बर परही। जब भुइंया के भीतर पानी जाही तभे ऊपरी बाढ़ ले हमर जिनगी बांचही।
बिलासपुर जिला के धरमनगरी रतनपुर ल तरिया के नगरी कहे जाथे। पहिली इहां पीये के पानी नइ रहिस। त राजा रत्नदेव ह इहां अइसे परयोग करिस के इहां के पानी ह गंगाजल बरोबर होगे। रतनपुर के चारो डहर पहिली पहाड़ी रहिस। ए पहाड़ी ले झर-झर के जउन पानी रतनपुर के भाग म आवय वोला बचाय खातिर राजा ह पहाड़ी के तीर-तीर मं तरिया बनवाय बर शुरू करिस। अब राजा ह अइसे तरिया बनवाय के हर तरिया के आधा मीटर खाल्हे म एकठन अउ तरिया रहय। तब ऊपर के तरिया के पानी ह भुइंया के भीतरे-भीतर रेती-माटी ले रिस-रिस के छनावत-छनावत खाल्हे के तरिया में आवय। अइसे करत-करत राजा ह दू सौ पचास ठन तरिया बनवा डारिस, जेमा सबले बड़े तरिया के नांव हावय दुलहरा तरिया।
फेर, दुख के बात ए हरय के हम मनखे अगियानीमन जम्मो तरिया ल अपन सुवारथ बर पाट-पाट के परकरीति के बेंदरा-बिनास करत हावन, जेकर सेती आज उहां मुसकुल से एस सौ बीस ठन तरिया हमन ल मिलही अउ वहूमन परदूसित। रतनपुर के महिमा के बखान करई असान नइये। रतनपुर भर ह नइ, हमर छत्तीसगढ़ के हर तरिया अपन-आप म एक इतिहास ल धरे बइठे हावय। अभी घलो हमर तीर समे हावय। हमन अपन भुइंया के रक्छा जुर-मिल के कर सकथन। कहे गे हावय – जब जागव तब बिहनियाा। हमन ल अपन गौरवसाली इतिहास के रक्छा करे बर परही। नइते, अवइया समे म कुआं-तरिया बनवाय बर घलो अभियान चलाय बर पर जाही।

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