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मरजादा के रद्दा म चलव

locationरायपुरPublished: Nov 29, 2018 07:06:21 pm

Submitted by:

Gulal Verma

गुरु ह गलत रद्दा नइ देखाय

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मरजादा के रद्दा म चलव

आ ज हमर गुरु-सिस्य के सुग्घर परम्परा कलंकित होवत जावत हे। सिरतोन म ए सोचे-समझे के विसय हे। गुरु जेकर जरूरत हर देस, हर परवार, हर कुटुम-कबीला ल राहय। गुरु के पूजा होवय। वोकर आदर अउ सम्मान होवय। ऊंचा पीड़हा मिलय। देस, समाज, परवार म पूछ-परख राहय। फेर अब कुछ गुरु अइसन होगे जेकर सेती आज जम्मो गुरु जगत बदनाम होगे। मेहा वो गुरुमन ल घलो बताय बर चाहूं जेमन भुला गे हे गुरु अउ सिस्य के पबरित परंपरा ल। हमर वेद-पुरान म गुरुमन के अलगेच इतिहास हे। जेकर कहिनी-किस्सा सुनके छाती फुल जथे। गुरु वसिस्ठ, गुरु नरहरि, गुरु वल्लभाचारय संदीपनी, दरोनाचारय, विस्वामित्र जइसन कतकोन गुरु होइस जेकर ले गुरु जगत के माथा ऊंचा हे। गोस्वामी तुलसीदास ह रमायेन म जगा-जगा बखान करे हे-‘बंदऊ गुरू पद पदुम परागा,गुरूपद रज मृदु मंजुल अंचन, श्रीगुर पद नख मनि गम जोती।
आज बेमरजादी बेवहार के सेती गुरु अपन मुड़ म अपजस के गठरी ल बोहत हे। गुरु अपन गुरुता ल भुला गे हे। गुरु ह समाज अउ देस के दरपन आय। दरपन जतके साफ रहिही वोतके हमर चेहरा साफ झलकही।
गु रु के महिमा ल भगवान घलो जानथे। गुरु ले बड़के कोनो नइये। जरूरी नइये नीति-नियम अउ कान फुकाबे तभे गुरु बनाय जाथे। हमन ल पढ़ाथे-लिखाथे अउ सही-गलत के समझ सिखाथे उही ह हमर पहली गुरु हरय। सबले पहिली तो महतारी ह हमर गुरु होथे। वोहा हमन ल जनम देथे अउ बने करम करे बर इस्कूल म भरती करथे। इस्कूल के गुरुजीमन हमन ल जम्मो परकार ले सिक्छा देथे के गुरु के का महत्तम हे। सिक्छक ह सबले बड़े गुरु आय।
पांचवी पढ़त रहेंव त हमर सबले बड़े परधानाचारय रहय। वोला हमन ‘बड़े बहनजीÓ काहन। वोहा अब्बड़ टिटीरहीन अउ गुसीयाये रहय। अब्बड़ नियम वाली रहय। फेर, पूरा छुट्टी होय त हमन वोकर पांव परन, वोतके बेर वोहा ‘खुस रहोÓ काहय त हमन वोकर गुस्सा अउ गारी ल भुला जावन। वोकर खुस रहो कहई ह आज ले मोर कान म गूंजत रहिथे। आज के समे म गुरुमन के ढोंग अउ पाखंड ल देख के मन ह बिचलित हो जथे। उंकर ले बिसवास ह उठ जथे। गुरु के नांव ल लगाके अधरम के रद्दा म अपनेमन रेंगथे अउ जुरुम के चिखला म धंसत जाथें।
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