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जाड़ म अब्बड़ सुहाथेेे घाम हc

locationरायपुरPublished: Dec 12, 2018 06:51:51 pm

Submitted by:

Gulal Verma

मौसम के गोठ

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जाड़ म अब्बड़ सुहाथेेे घाम हc

त इहां जमाना म जाड़ के दिन म सियानमन घाम के बड़ सुग्घर उपयोग करंय। बिहनिया होते जब घर के लोग लइकनमन ल नींद ले जगाय बर रहय तब कहय-उठ ना बेटा, घाम आ गे रे। पहिली घरों-घर परछी राहय। जिहां परछी म घाम आवय तहां बबा, बूढ़ी दाई संग म लइकनमन घाम तापे बर बइठ जांय। खाली घाम भर नइ तापंय, घाम म बइठे-बइठे छोटे-छोटे बुता-काम घलो निपटा डरंय। लाई बिनई, साग-भाजी सुधरई,, रखिया करोई, दार धोवई, चकोली बनई, पापर, बरी, बिजौरी बनई, मिरचा ल मही म बोर के सुखो डरंय। ए जम्मो बुता ल घाम म बइठे-बइठे निपटा डरंय।
नहाय बर पानी ल घाम म मढ़ा दे राहंय। नहाय के बेरा ले पानी कुनकुन हो जाय अउ नहाय म घलो आनंद आ जाय। बुढ़ा बबा, बूढ़ी दाईमन नहा के आवंय तहां तेल मालिस करे बर परछी म बइठ जाय। घाम म बइठ के लइका सियान दूनों बासी घलो झड़क डरंय। लइकामन ल घाम म नहवा-खोरा के इसनो पावडर लगाके इस्कूल भेजे के बेरा म बेनी गूंथे के बुता घलो घाम म होवय।
हमन ल इस्कूल भेज के हमर महतारी, काकी, बड़ीमन घाम म बइठ के जतली म अरसा देहरौरी बनाय बर चाउर-दार दर डारय। खलबट्टा म हरदी-मिरचा कूट डरंय, सेवई बना डारय। चाउर पिसान अउ ध्वासी दार के पापर, पारा मुहल्ला के जम्मो महतारीमन सकला के बना डरंय, सूखो डरंय। टीना म जतन के रख डरंय।
संझाती बेरा जब हमन इस्कूल ले आ के कभु थोड़-मोड़ बॉचे-खोचे घाम तापे बर छत म जावन तब घरों-घर छानही म बरी-बिजौरी सूखात दिख जाय। कोनो छानही म मखना, कानो छानही म रखिया, कोनो छानही म तुमा फरे सुग्घर माढ़े राहय। संझौती के बेरा बूड़त राहय। सुरूज नारायन अपन घर जावत राहय अउ जम्मों घर म चूल्हा सिपचय तब घर के छानही ले कुहरा उड़त दिखय। अउ बेरा होवय तब घर के तुलसी चौरा म दीया बारत महतारीमन दिख जावंय। कतको घर ले पूजा के घ्ंाटी के अवाज ल सुनके फेर पढ़े बर बइठ जात रहेन।
आजकल तो घाम तापे बर ककरो करा समे नइये। कोनो मेर जाय बर घलो रइथे तब हमन मुंह-कान ल बांध के जाथन काबर के घाम के परे ले हमर रंग करिया झन हो जावय। बिहनिया अउ संझा हमर तिर समे नइये कि हमन आराम से घाम म बइठ के बुता-काम कर सकी। बरी-बिजौरी, पापर, चकोली जम्मों जिनिस बजार ले खरीद के खावत हावन काबर कि बनाए बर समे नइये। अतेक मेहनत के काम घलो अकेल्ला करे के ताकत नइये। बड़े परिवार अब छोटे होगे। जउन बुता ल सब जुरमिल के करंय तेन ल अकेल्ला अब करे बर परथे।
जमाना कतेक बदल गे। अब हमन घाम के उपयोग मन लगा के नइ करन तेकर सेती हमर सरीर घलो कमजोर होवत जावत हे। थोरकन कोनो मेर गिरे ले हाड़ा रट ले टूट जात हे। चाहे लइका होय के सियान सबके हाड़ा कमजोर होगे। हमन ल अपन सरीर ल मजबूत बनाय बर हे। घाम के भरपूर उपयोग सिरिफ बिजली बनाय बर नइ, बल्कि हमर सरीर ल मजबूत बनाय बर करे ल परही।
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