मनखे के अधिकार
रायपुरPublished: Dec 12, 2018 07:07:58 pm
बिचार
मा नुस जात के सुभाव हे के वोहा भाव ले भरे रहिथे। मया-दया, दुख-सुख देसभगती, सुवामीभगती क़े भाव लोगन के हिरदे ले जब बाहिर निकलथे त कभु – कभु बहाव अतेक जोरहा रहिथे जेहा मनखे जात के मनुजता ल बोहा के ले जथे। मनुजता के भाव जब मर जथे तब बिकट बड़ आपद काल आथे। सुरूज करियाय लगथे। सरदी क़े रात म आगी के लपट उठथे। नादिया-नरवा ललिया जथे। मनखे-मनखे ल भुला जथे। मनुसता के भाव के उप्पर मउत के नाच होय लागथे। ऐेकर पीछू जउन बल काम करथे वोकर कोनो पहिचान नइ दिखय। असल म जब भाव अपन रद्दा ले भटकथे वोकर खुद के उप्पर काहीं पकड़ नइ रह जाय। सोसन, भेदभाव, परताडऩा, हिंसा, बलवा, जबरदस्ती अउ न जाने का-का होथे।
रंग-रूप, लिंग, जात-पात, भासा, धरम अउ धन के अधार म न जाने कतेक अतिचार कतकोन बछर ले होवत आत रहिस। गुलाम, दासी, रखैल, नीच जात, बिधरमी, कंगला ऐमन अइसन सबद आय जेकर उप्पर सोसन, दमन, अतियाचार, हिंसा के जुलुम होइस। इंकर जिनगी जानवर ले उप्पर नइ रहिस। आज लोगन पढ़-लिख डरिन। कानून बन गे।
अजाद हो गे। तभो ले मानवता सुरक्छित नइये। मनखे के अधिकार के हनन होत हे अउ मनखे दांत निपोरे देखत हे। ये चिंता अउ चिंतन के बात ए। मानव अधिकार बर जागे अउ लड़े बर परही।
आज मानव मानवता के रक्छा मानव नइ करही त कोन करही। कोनो मनखे के उप्पर अतियाचार होथे, वोकर सोसन होथे, वोकर मान-मरियादा के उल्लंघन करे के कोसिस होथे त ये बात बड़ दुखदायी होथे। सिरिफ मनखे बर मानव अधिकार के बेवस्था हे। संसारभर के देसमन के संगठन संयुक्त रास्टर संघ ह 10 दिसम्बर 1948 के दिन दुनियाभर लोगन के हित बर कुछ अधिकार के घोसना करिस। जेमे मनखेमन के जिनकी, सुतंत्रता,समानता अउ मान के रक्छा करे के संकल्प रहिस। हमर संविधान म घलो ये बात ल जघा दे गीस। संविधान के भाग 3 म मौलिक अधिकार के बेवस्था मानव अधिकार के रक्छा करे बर हे। भाग 5 म नीति निदेसक तत्व ले एला बनाय रखे के अउ सोसित, पीडि़त, असहायमन ल उप्पर उठाय के उदिम करे गे हे।