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छत्तीसगढ़ी म असीस देवइया गुरु

locationरायपुरPublished: Dec 18, 2018 07:18:15 pm

Submitted by:

Gulal Verma

जयंती बिसेस

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छत्तीसगढ़ी म असीस देवइया गुरु

सत के संदेस दीस बाबाजी ह। जीव हिंसा झन करव, सबला एक मानो, रुख-राई के घलो महत्तम हे। ए बात ल बतइस। जिनगी म जंगल -झाड़ी, खेत -खार अउ गाय-गरुवा के महत्तम ल पंथी गीतमन म बताय गे हे। धन्न हे हमर छत्तीसगढ़ जिहां गुरु बाबा घासीदास के जनम होइस। ए धरती ह पबरित होगे।
गुरु घासीदास बाबाजी हे मनखे के महत्तम ल बतात कहिस के- अपन अंतस के देव ल सुमरना चाही। पथरा के देव ह न हालय, न डोलय। पथरा ल का पूजना। मंदिरवा म का करे जइबो। अपन घट ही के देव ल मनइबो। मनखे के मेल-जोल, एकता अउ सुमता के महत्तम बताय हे हमर गुरु बाबा घासीदासजी ह। उंकरे सिद्धांत ल समझबो तब हमन आगू जाबो।
गु रुबाबा घासीदास ह छत्तीसगढ़ी भाखा म असीस दे हे। छत्तीसगढ़ के राजभासा ए छत्तीसगढ़ी ह। काज के भासा हे छत्तीसगढ़ी ह। राज के भासा हिंदी अउ अंगरेजी हे। राज अउ काज दूनों जब छत्तीसगढ़ी म चलही तब ए भासा के सही सम्मान माने जाही। छत्तीसगढ़़ राज बने अठारह बछर होगे। 18 दिसम्बर के बबा घासीदासजी के जयंती मनाय जाथे। नवा सरकार बनगे। नवा-नवा उमेंद जाग गे हे । छत्तीसगढ़ के राजभासा छत्तीसगढ़ी म काम-काज चलही ए आसा सबला होय लगे हे। छत्तीसगढ़ी भासा गुरु बाबा घासीदास के भासा ए। ए भासा ह गरीब, मजदूर, किसान, कलाकार अउ सब जनता के भासा ए। बेपारीमन काम चलाऊ छत्तीसगढ़ी तुरते सीख लेथें। अभी नवा विधायक चुन के आय हें, तेमन सबछत्तीसगढ़ी म वोट मांग के जीते हें। छत्तीसगढ़ी ह जीत के भासा ए। धरम अउ जागरन के भासा हमर इही छत्तीसगढ़ी ह आय।
गुरु बाबा घासीदास के जनम दिवस ल सब मनाथंन। छत्तीसगढ़ के हर गांव-बस्ती म पंथी गीत गा के आरती उतारे जाथे। जैतखंब म पालो चढ़ाय जाथे। सब मिलजुल के बाबाजी के संदेसमन ल गुनथें। पंथी गीत ह छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़ के मान ल बढ़हइया भजन ए।
पंथी के सबले बड़का कलाकार रिहिस देवदास बंजारे ह। छत्तीसगढ़ी म पंथी गा के देवदास ह देस- बिदेस म नाव कमइस अउ छत्तीसगढ़ के जस ल दुनिया म बगरइस। दुनियाभर म नामी कलाकार हबीब तनवीर ह जब चरनदास चोर नाटक बना के बिदेस म खेलिस त पंथी गीत ल नाटक म रखवइस। चरनदास चोर म जब देवदास ह उघरा बदन, बड़े बड़े चूंदी छरिया के नाचिस त देखइयामन ल लागिस जइसे संकर भगवान के तांडव मंच म होवथे का। बिदेसी दरसकमन चकित रहिगें। रोसन सेठ ह डिस्कवरी ऑफ इंडिया सीरियल म नेहरू बनय वोहा चरनदास चोर म देवदास बंजारे ल नाचत देख के किहिस – पूरा नाटक म देवदास अउ वोकर पंथी ह सबला बांध दीस। अउ कुछु दिखे ***** नइ करिस। ए जादू रिहिस देवदास के।
गुरु बाबा घासीदासजी के आसिरवाद पाके पंथी के कलाकारमन जस कमाय हें। 2002 म 23 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक पाटन छेत्र के गांवमन म गांधी विचार यातरा निकले रिहिस। हर गांव म पहली पंथी गीत गाए जाय। भोजन अउ गीतगान सतनामीपारा म होवय। दू सौ कलाकार अउ साहित्यकारमन भूपेस बघेल के अघुवइ म जातरा करिन। गांव-गांव गीत गाइन। सांति, एकता अउ सुमता के गीत जुरमिल के गाइन। जामुल, जरवाय, चरौदा, नंदौरी, सेलूद, गाड़ाडीह, सांतरा, अरसनारा, घुघुवा अउ पाटन म सैकड़ों पंथी कलाकार सकलइस। आज गांव-गांव म पंथी दल बनगे हे। सतनामी समाज ह छत्तीसगढ़ म अइसे कलावंत समाज ए जेकर हर सदस्य ह पंथी के मरम ल जानथे। गवई, नचई अउ बाबाजी के जस बोलई ल सीखे बर नइ परय। अपने-आप देख -सुन के कलाकारमन सीख जथें अउ नाव कमाथें।
गुरु बाबा घासीदास के जनम 1756 म 18 दिसम्बर के गिरौदपुरी म होइस। आज गिरौदपुरी ह छत्तीसगढ़ के अइसे धाम बनगे हे जिहां देस अउ दुनियाभर के मनखेमन माथा टेकथें। उहां सुमता के विचार ल समझथें। ‘मनखे-मनखे ल मान सगा भाई के समानÓ ए विचार ह बाबाजी के बताय मंतर ए। अइसने विचार के उजास छत्तीसगढ़ आगू बढ़े हे।
पर के धन अउ परनारी से दूर रहे, लोभ-लालच से बाच के चले, खान-पान म सादगी, अहिंसा अउ भाईचारा के संदेस बाबाजी ह दीस। बलि परथा ल बंद करइस।
सतनाम सतनाम सतनाम सार।
गुरु महिमा अपार अमरित धार।
बोहाइ दे होइ जाही बेड़ा पार।
सतगुरु नाम लखाइ दे।
ए गीत ह देस विदेस म गाए गे हे। छत्तीसगढ़ी भासा म गाए जवइया गीत ल सब समझथें। छत्तीसगढ़ी के महिमा ल बढ़हई ह छत्तीसगढ़ के महिमा बढ़ाय बर जरूरी हे। भासा अउ संस्करीति ह छत्तीसगढ़ के ताकत ए। ऐकरे दम म छत्तीसगढ़ ह आज देसभर म माथा ऊंच करके चलथे। छत्तीसगढ़ के पंथी कलाकारमन के ताकत अउ फुरती ल देखके भांगड़ा जइसे नाच के कलाकार मन लोहा मानथें। तेजी, ताकत, कला अउ संगीत के साथ जोस के संगम होथे। पांव म बड़े-बड़े घुंघरू अउ बड़का जनिक मांदर देखतेच बनथे। सुनते बनथे। कुर्रे गीतकार ह लिखे हे-
मोला देदे तंय दाई मोरे पांवे बर। घुघरू मंय देवदास बन जातेंव ।
दुनिया म नाच गा के वो दाई।
मंय सत के संदेस ल सुनातेंव।
पंथी गीत गवइया परमुख कलाकार ल भजनहा केहे जाथे। माने भजनगवइया। गुरु बाबा घासीदास के जस के गीत पंथी गीत ह भजन ए। 18 दिसम्बर के दिन हमन सब जुरिया के बाबा घासीदासजी के संदेस ल जाने समझे के उदिम करथन।
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