भजिया के दुकान
रायपुरPublished: Dec 28, 2018 07:19:23 pm
नानकीन किस्सा
पढ़े लिखे बेरोजगार लइकामन ऐती-वोती किंजरत रहंय। देस के मुखिया ऐकरमन के हालत देख के बड़ तड़पिस अउ लइकामन ला जीविकोपारजन बर भजिया बेंचे के सलाह देवत, बेंक ले कमती बियाज म करजा घलो देवइस। लइकामन ल मुखिया के सलाह जंचगे। गांव के लइका ह बेंक ले करजा लेके भजिया बेंचे के दुकान चलाय लगिस अउ वोकर सहरी संगवारी ह बेंक के करजा लेके बड़े जिनिस बिजिनीस खोल डरिस।
कुछ बछर पाछू गांव के लइका भजिया बेंचत-बेंचत मूल ते मूल, बेंक के बियाज तको नइ पटा सकिस। करजा म बुड़के आतमहतिया कर डरिस। वोकर संगवारी ह एक बेंक ले दू बेंक, दू ले तीन बेंक करत मनमाने अकन करजा लेके बड़े मनखे बन गिस। कतको अकन बेंक ल अपन करजा म बुड़ो दिस। गांव गरीब के लइका के कतेक समझ। वोहा मुखिया के बात ल समझिस निही। भजिया बेंचे ल कहत हे कहिके, सहींच के भजिया बेंचे लगिस। जबकि, वोकर संगवारी ह बात ल बने समझ के भजिया कस हुनर बेंचे के उदिम करके देस-बिदेस म अब्बड़ नांव कमइस।