दूसर बर जीयइया गुरुजी
धरती म जनम धरई, जीयई, खवई अउ एक दिन इहां ले चले जवई, अइसन जिनगी कतको मनखे जीथें। फेर, बहुतेच कमती मनखे अइसे होथे जेन दूसर बर जीथें अउ अपन जिनगी के एकेक समे ल परमारथ म लगाथे। समाज अउ देसहित बर समरपित होके सुख अउ संतोस के अनुभव करथे। अइसने समाज, सांस्करीति, साहित्य अउ धरम बर समरपित बिभूति रहिस गजानंद परसाद देवांगन ह। जेन ल कभु रमायन परबचन, कभु कबिता पाठ त कभु सांस्करीतिक मंच के संचालन करत देखंंय लोगन ह। अभु घला उंकर कबिता अउ कहिनी ह समाचार पत्र, पतरिका अउ अकासबानी ले पढ़े- सुने बर मिल जथे । 1940 के गनेस चतुरथी के जनम धरइया गुरुजी के ननपन ह धमतरी जिला के मगरलोड ब्लाक के गराम धौराभाठा म बीतिस। रामाधीन देवांगन अउ पारवती देवांगन के मंझला लइका गजानंद ल छत्तीसगढ़ परदेस के इस्कूल म सबले पहिली योग सिक्छा पाय करे के गौरव मिले हे। 1972 म धौराभाठा के मिडिल इसकूल म योग सुरू करीन। 9 दिसंबर 1911 के सरग जाय के पहिली लगभग 1500 गीत, कहिनी, आलेख के रचना कर चुके रहिन। इंकर सुरता ल बनाय रखे बर छत्तीसगढ़ सासन ह सासकीय उच्चतर माध्यमिक ***** छुरा के नामकरन ल इंकर नांव म करे हे।