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रायपुर

जुन्ना बछर के कलेेन्डर के पीरा

गोठ के तीर

रायपुरDec 31, 2018 / 07:10 pm

Gulal Verma

cg news

जुन्ना बछर के कलेेन्डर के पीरा

नवा बछर के अवइ के खुसी म जुन्ना बछर के आखरी रात लोग-लइका, सियानमन बूड़े रिहिन। नाच गाना, खवई-पियई सबो कोती चलत रिहिस। फेर मेहा अपन नवा बछर के सुरुआत चइत के महीना ल मानथंव। अंगरेजी कलेन्डर के जनवरी महीना ल नइ मानव। इही पाय के इकतीस दिसम्बर के रतिहा म तको जल्दी सूत गे रहेंव। फेर नवा बछर मनइयामन के ढोल ढमाका, हो-हल्ला अउ नाच-गाना के मारे मोर नींद नइ परत रहिस। तभे मोर कान म ककरो कलप-कलप के रोवई के अवाज सुनई दीस। मेहा सोच म पर गेव कि अतेक रात के कोन रोवत होही।
ऐला जाने बर पलंग ले उतर के उंही कोती रेंगेव जेती ले रोवइ के अवाज आवत रिहिस। थोरकिन आगू बढ़े रहेंव त देखथंव कि परछी के परदा म टंगाय कलेन्डर ह फडफ़ड़ावत सिसकत रोवत हे। वोला रोवत देख के मेहा अकबका गेंव। फेर, हिम्मत करत वोकर तीर म जाके पूछेंव – कस जी कलेन्डर! जम्मो दुनिया नवा बछर के अवई के खुसी म माते हें अउ तोला रोवई सुझत हे। अतेक का पीरा हो गे हे तोला।
मोर ए सुवाल ल सुनके कलेन्डर अपन बोहावत आंसू ल पोछिस अउ बोलिस – अलकरहा सुवाल पूछत हस। तोला का जानबा नइये कि आज मोर आखरी दिन आय। काली जुअर मोर जगा म नवा कलेनडर टंगा जही। मेहा कचरा कस फेंका जहंू। मोला सुरता करइया कोनो नइ रइही।
अच्छा त तोला इही पीरा ह खावत हे कि अब तोर कोनो पूछारी नइ रिही। अरे कलेन्डर भइया! फेर तोला तो खुस होय बर चाही। काबर कि काली बिहनिया तोर छोटे भाई माने नवा बछर के नवा कलेन्डर ल तोर जगा म टंगाय के मउका अउ मान-गउन मिलही। मोर ए बात ल सुनके कलेन्डर ह बमक गीस अउ बोलिस – मनखे के जात अपन सुवारथ अउ अपन फायदा ल पहिली देखथव। ते पायके अइसनेे घटिया सोच तुमन के होथे। अरे … मेहा ऐकर बर नइ रोवत हंव कि मोर जगा अब दूसर कलेन्डर टंगा जाही। मेहा ये सोच-सोच के रोवत हंव कि पूरा बारा महीना तुमन के आंखी ल खोले बर मेहा तीजा, पोरा, हरेली, होरी, देवारी, ईद, करिसमस के तिहार के तारीख ल बताएंव, ताकि तुमन अइसन तिहार के मरम ल समझव। भाईचारा ल बना के, बेटी ल बचा के महिमा अउ हरियाली-रूख-राई, भुइंया-पानी के बचत संग मांस-मदिरा ले दूरिहा रहे के तको संदेसा देंव।
कलेन्डर के बात ल बीच म टोकत मेहा बोलेंव – बात तो तेहा सही बोलत हस कलेन्डर भइया। फेर, हमुमन तो तोर बताय तिहार-बार ल बने मजा लेवत मनाय हंन। तोला हमर तिहार मनई म का कमी अउ खोट दिख गीस। तेमा तेहा अतेक बोमियावत हस? मोर ए सुवाल के जुवाब ऊंच अवाज म देवत कलेन्डर ह बोलिस – आगी लगे तुमन के तिहार मनई म। तुमन तो तिहार-बार के नांव म बारहों महीना लड़ई-झगरा करते रहि गेंव। बिना नसा-पान के कोनो तिहार ल नइ मनाएव। अइसन म तो मोर जिनगी बिरथा होगे। बछरभर हरेक दिन के महिमा ल बतावत-बतावत मेहा पानी म बूड़े माटी के ढेला कस घूरत रहि गेंव। फेर, तुमन नइ सुधरेंव। कुकुर के पूछि कस टेडग़ा के टेडग़ा रहि गेंव। आज मोर आखरी दिन आ गे। ते पायके मेहा रोवत हंव।
कलेन्डर ह अपन आंसू ल पोंछे खातिर थोरकिन रुकिस, तहां ले फेर बोलिस कि मोला तो मालूम रिहिस कि एक जनवरी के मेहा जनमे हंव अउ इकतीस दिसम्बर के खतम हो जाहूं। फेर, तुमन ल तो ए बात के थोरको पता नइ रहय कि तुमन के जिनगी के दीया कब बुता जाही। इही पायके समझावत हंव कि ‘नवा बछर म बने-बने काम-बूता ल करहू। मंय अउ मोर के चक्कर म परे बर छोड़ के हम अउ हमर के मया डोर म बंधा जहू। पइसा अउ पद के गरब म झन परहू काबर कि अकड़ू बन के जीहू त कोनो नांव लेवइया नइ मिलही। अउ ते अउ मरे के बेरा मनखे तो मनखे कुकुर ह तको रोवइया नइ रिही।Ó
बने कहत हस कलेन्डर भइया फेर थोरिक अउ फोर के बता तो कि तोर हिसाब म नवा बछर म हमन ल का-का कारज ल करे बरचाही। कलेन्डर थोरकिन मुचमुचाव बताइस कि नवा बछर म अपन बोली, अपन भाखा, अपन माटी, अपनी तीज-तिहार ल बचावत, वोकर मान बढ़ाय के काम ल करव। अउ ए परन करव केनवा बछर म नवा भारत के सिरजन करबो, नोनी भरुन हत्या, दहेज परथा ले दूरिहा रहिबो,। नक्सल के नरी मुरकेट के छत्तीसगढ़ महतारी के दुलरवा बेटी-बेटा बनबो। छत्तीसगढ़ के बोली-भाखा बर हो गीन जउन बलिदान, वोमन ल रोज जय जोहार, पैलगी करबो। कलेनडर भइया के अतेक सुग्घर बिचार ल सुन के मोर हिरदय म उछाह के नवा जोत बर गीस।
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