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तिली लाड़ू के तिहार

locationरायपुरPublished: Jan 14, 2019 06:24:04 pm

Submitted by:

Gulal Verma

मकर संकरांति

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तिली लाड़ू के तिहार

मकर संकरांति ह हिन्दू धरम के एक मुख्य तिहार ए। ए परब ल पूरा भारतभर म एक संग मनाये जाथे। पूस महीना म सुरुजदेव ह धनु रासि ल छोड़ के मकर रासि म परवेस करथे, इही ल मकर संकरांति के नाव से जाने जाथे। मकर संकरांति के दिन से ही सुरुज के उत्तरायन गति ह सुरू हो जाथे। ए दिन ले रात छोटे अउ दिन ह बड़े होय के सुरू होथे। दिन बड़े होय ले परकास (अंजोर) जादा अउ रात छोटे होय से अंधियार कम होथे। इही ल कहे गे हे- ‘अंधियारी से अंजोरी के डहर जवई।Ó
अंजोर जादा होय से सब जीव-जंतु म चेतना अउ काम करे के ताकत ह बाढ़ जथे, अइसे माने गे हे। भारतीय पंचांग म सब तिथि ह चंदा के गति ल अधार मान के बनाये जाथे। फेर, मकर संकरांति ल सुरुज के गति से तय करे जाथे। ऐकरे सेती ए परब ह बछर 14 या 15 जनवरी के होथे।
मकर संकरांति मनाय के कईठन पौरानिक कथा-कहिनी घलो जुड़े हे। कहे जाथे के ए दिन भगवान सुरुजदेव ह अपन बेटा सनिदेव से मिले बर वोकर घर जाथे। सनिदेव ह मकर रासि के सुवामी ए। ऐकरे सेती ए दिन ल मकर संकरांति कहे जाथे। मकर संकरांति के दिन गंगाजी ह भागीरथ के पाछू-पाछू कपिल मुनि के आसरम डहर ले जाके सागर म समाहित होय रिहिस हे। महाभारत काल म भीस्म पितामह ह घलो इही दिन अपन परान ल तियागे रिहिस।
मकर संकरंाति के दिन तीरथधाम अउ नदियामन म मेला भराथे। उरीद, चाउर, तिली, गाय, सोना, कपड़ा, गुड़ अउ कंबल दान करे जाथे। तिली-गुड़ के लाड़ू खाय के परंपरा घलो हे। जेहा सरीर बर बहुतेच लाभदायक होथे।
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