अउ मंजूर नइ नाचिस
रायपुरPublished: Jan 18, 2019 08:40:06 pm
नानकीन किस्सा
बादर फेर आ गे रहिस। चउमासा सुरू होगे रहिस। लगत रहिस के पानी कभु भी बरस जही। जंगल के मउसम ह बहुचेत बढिय़ा होगे रहिस। पुरवाही कस सुरुर-सुरुर हवा चलत रहिस। मोरनी के नजर म सावन के परेम नजर आवत रहिस। ठुमक-ठुमक के चलत अपन परियतम ल खोजत रहिस। मंजूर (मोर) ह उदास, मुंह ल उतारे रूख के खाल्हे खड़े रहिस। इतरावत मोरनी ह वोकर तीर म पहुंचीस। का बात ये जी, आज बहुतेच उदास नजर आवत हस? देख तो मउसम ह कतेक बढिय़ा होवत जावत हे। करिया-करिया बादर ह तोला बलावत हे। तभो ले तेहा नाचत नइअस? मंजूर ह उपरसंसी सांस लेवत कहिस- तोर तो जब देखबे त इतरईच आय। कुछू जानत घलो हस? मनखेमन उप्पर कतेक बिपत्ति के बादर छाए हे तेन ल? नब्बे रुपिया किलो तेल अउ चालीस रुपिया किलो चाउर बेचावत हे। अउ, तोला नाचे के परे हे। आज के ‘जंगल समाचारÓ नइ पढ़े हस तेहा। मोरनी ह तभो ले आस नइ छोडि़स अउ कहिस- ‘मनखेमन ले हमन ल का लेना-देना हे। मंजूर (मोर) ह बड़ भावुक किसम के रहिस, वोहा नइ मानिस, नइ नाचिस।