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अखाड़ा के अक्खड़ कलाकार

locationरायपुरPublished: Feb 06, 2019 07:35:36 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नदावत लोककला

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अखाड़ा के अक्खड़ कलाकार

कलाकार अभाव म जनम लेथे अउ अभाव म मर जथे। फेर, मरे के बाद घलो वोहा अपन कला के साथ अमर रहिथे। भेलई के तीर एक गांव हे- ÓपहंडोरÓ। इहां बैयसठ बछर के Óबिसनु निसादÓ अपन कला के संग हरदम जवान रहिथे।
पढ़ई नइ के बरोबर। मजदूर वरगीय परिवार म जनमें विस्नुु किसोरावस्था म दूसर घर नौकरी करय। समे के साथ दाऊ घर ल छोड़ के लोहा फेक्टरी म मजदूरी करे बर धर लिस, जिहां आजो नौकरी करके अपन पेट पालत हे। जब पहिली मनोरंजन के काहीं साधन नइ रिहिस, तब गांव म अखाड़ा पारटी खुलिस। ए अखाड़ा ह कतकोन सरकस ल मात करय। अखाड़ा के ए कलाकार फोकट म लोगन के मनोरंजन करत-करत अपन करतब देखावय। करतब अइसन कि आंखी उघरे के उघरे रहि जाय।
इही अखाड़ा दल के एक परमुख सदस्य बिसनु निसाद आगी के खेल देखाय म उस्ताद। लोहा के रिंग म कपड़ा लपेटे, अउ वोमा माटी तेल डार के चारों मुंडा आगी जला के वोकर बीच ले बुलक जाय। एक मनखे के ऊपर चघ के बड़े-बड़े लोहा के ***** सरिके पहिया ल चलाथे, वोला खाल्हे फेंकथे अउ बिना चोट लगे दूसर मनखे ह झोंकथे। लकड़ी के मुसर चलाथे अउ लउठी म दूनों कोती नान-नान रिंग म आगी बार के चारोंमुंड़ा सहजता से घुमाथे अउ खुद घलो चलथे। ए जम्मो वोकर आसान करतब हरे।
आज हम इही ल फिलिम या सरकस म देखथन त अपन पइसा लगाथन। दूरिहा जाय बर परथे। फेर, गांव के ए कलाकार फोकट म अपन कौसल दिखाथे। पहिली बिहाव होवय त रात परधनी म अखाड़ा वालेमन जावंय अउ गांव वालेमन ल करतब देखावंय। रातभर गांव वाले अखाड़ा देखंय। कुछु भी कारयकरम होवय त गांव म अपन दल के संग अखाडा दिखावंय।
आज अखाड़ा ह नंदाय बानी होगे हे। तभो ले ए कलाकार बैयसठ बछर के उमर म घलो अकेल्ला समे-समे म करतब दिखात रहिथे। गांव म जब अखाड़ा दल बंद होय के हालत म अइस काबर कि नवा लइकामन नइ जुड़ पइस, तब दल वालेमन अखाड़ा दल के सुरता म एक हनुमान मंदिर बनाइन। अखाड़ा के करतब ल आजो अकेल्ला देखाथे। सचमुच दुरलभ हे अइसन कलाकार।
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