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बसंत पंचमी के महिमा

locationरायपुरPublished: Feb 12, 2019 07:14:34 pm

Submitted by:

Gulal Verma

संस्करीति

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बसंत पंचमी के महिमा

बसंत पंचमी के दिन गियान के माता सरस्वती के आराधना करे जाथे। बछरभर ल छह भाग म बांटे गे हे। ऐमा बसंत रितु सबसे सुखद रितु हे। जब परकरीति म सबो कोती नवसिरिजन अउ उल्लास के वातावरन होथे। खेत म सोना के रूप म सरसों के फूल चमके लगते। गहूंं अउ जौ म बाली आ जाथे। आमा के रूख म बउर लग जाथे अउ ऊपर ले कोयली के मीठ तान मन ल सुग्घर लगे लगथे। टेसू, सेम्हर अउ गुलमोहर के चटक लाल रंग ह सब जीव ल अपन कोती खींचे लगथे। महुआ के फूल के सुगंध वातावरन म सब्बो जीव ल मदमस्त करे लगथे। वातावरन म सबो कोती नाना परकार के फूल फुले के सेती परकरीति म सुग्घर हवा चले लगथे अउ भंवरा के भनन-भनन के नाद निक लगे लगथे। जेकर ले मनखे के जिनगी म नवा उल्लास छा जाथे।
बसंत पंचमी के तिथि 28 फरवरी बछर 1899 के दिन हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार पं.सूर्यकांत त्रिपाठी ”निराला’ के जनम हो रहिस। निरालाजी के मन म गरीबमन बर अब्बड़ परेम अउ पीरा रिहिस। वोहा अपन पइसा अउ कपड़ा-लत्ता ल खुलेमन ले गरीबमन ल दे देवत रिहिस। ए सेती लोगनमन उनला महापरान कहत रिहिंन।
हिंदी साहित्य म सेनापतिजी घलो बिसेस जगा रखथे। हिंदी साहित्य म उंकर योगदान ल भूलाय नइ जा सकय। सेनापतिजी ह अपन रचना रितु बरनन म बसंत रितु के बड़ सुग्घर बरनन करे हे। वोहा परकरीति के उपादान ल लेके मानवीकरन अलंकार के बहुतेच मनोरम चित्र खींचे हे। वोहा अपन ए कविता म बसंत ल रितु के राजा बता अपन चतुरंगिनी सेना के साथ बहुतेच सोभायमान लगत हे।। ‘बनन-बरन तरू फूले उपवन-वन, सोई चतुरंग संग दल लहियतु है।Ó
भगवान सिरीराम बसंत पंचमी के दिन अपन भाई लछमन के संग बनवासकाल के समे छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिला के सिवरीनानायन म माता सबरी के कुटिया म पहुंचे रहिस। वोकर जूठा बोईर ल परेम भाव के साथ खो रहिस।
ऐतिहासिक रूप ले कहे जाथे के पिरिथवी राज चौहान ह बिदेसी आकरमनकारी मोहम्मद गोरी ल सोला पइत हराय रिहिस, फेर सत्रहवां पइत वोहा हार गिस त मोहम्मद गोरी ह वोला अफगानिस्तान म कैद करके अपन गोर देस ले गिस अउ वोकर आंखी ल फोर दे रिहिस। पिरिथवी राज चउहान ह राजा दसरथ के बाद एक अइसे राजा रहिस जेन ह सब्दभेदी बान चलाये के कला जानत रहिस। वोहा सब्दभेदी बान चला के मोहम्मद गोरी ल मार देथे। वो 1192 ई. के दिन ही बसंत पंचमी के तिथि रहिस। ऐकर बाद पिरिथवी राज चौहान अउ राजकवि चंदबरदाई ह आत्मबलिदान कर लिन।
बसंत पंचमी माघ महीना के सुुक्ल पक्छ के पंचमी के मनाय जाथे। बसंत रितु के आतेच परकरीति के कोना-कोना खिल जथे। सब्बो जड़-चेतन समुदाय उल्लास ले भर जथे। स्कूलों म घलो लइकामन माता सरस्वती के पूजा-अरचना करके बिद्या के बरदान मांगथें।

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