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टेटका पहुंचान बारी ले

locationरायपुरPublished: Feb 20, 2019 06:18:33 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिचार

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टेटका पहुंचान बारी ले

मनखे के जनम ह इही संसार म मुक्ति बर होथे, फेर वोहा जम्मो मया-मोह म बंधे रहि जथे। दाई के गरभ म जीव ह परथे त वइसने वोहा भगवान ले विनती करथे। भगवान मोला इही गरभ ले निकाल। अब्बड़े गोहराथे। मेहा संसार म जाके तोर नांव अउ तोर साधना ल करहूं। मोला तेहा इही गरभ के नरक ले निकाल ले। अब्बड़े विनती ल सुन के भगवान ह वोला इही संसार म जनम देथे। त मनखे जनम ल धर के जिनगी ह बीते लगथे। लइका, जवान, अउ बुढ़तकाल तको बीते लगथे। समे भागत जाथे। मनखे जाथे बुढ़ावत। कब काल के मुंहु म जाही, चिटकुन गम नइ पाही। इही रंग -बिरंगी संसार के मया ह तो सब्बो झिन ल मोह डारे हवय। किंजर-किंजर के इही संसार म समा जथे।
फेर वो दिन नइ आवय जब थोरकुन भगवान ल विनती करतिस। मया-मोह म बुड़े वोहा भगवान ल तको भुला जथे। थोरकुन पूजा-पाठ ल करत सरी जिनगी मया -मोह म भुलाय मुक्ति के कुछु उपाय नइ करय। सरी जिनगी मया-मोह के गोठ म, सुख-दुख म भुलाय इही मिरित्यु लोक म रहि जथे अउ घेरी-बेरी इही संसार म जनम लेवत रहिथे। इही ल कथे – टेटका पहुंचान बारी ले। सिरतोन हम मनखेमन अइसने हरन।
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