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नामकरन

locationरायपुरPublished: Feb 22, 2019 07:22:11 pm

Submitted by:

Gulal Verma

नानकीन किस्सा

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नामकरन

येसो के अक्ती मं ललिता ह बीस बछर के होगे। रमेसर अउ रेवती ल बेटी के बिहाव के चिन्ता होवन लागिस। सगा-सोदर आय फेर जम्बे नइ करय। ललिता केगुन के कोई पूंछ-परख नइ होवय। वोकर सांवला बरन ह बइरी ***** होगे राहय। गांववाला मन फुसफुसाय- ‘ये मन ल काय हो गे हवय, कइसन सगा ल अमरहीं, अपन बेटी ला, भगवान जाने।Ó लड़का छांटत हवय। जात गोतियार के कहना होय- ‘नानकुन कुंदरा ***** घर हे, खोर के कपाट ह घला ठिकाना नइ हेÓ। भांड़ी मं पलानी लदाय हे, झिपारी ह थुनही मं थेमाय हे अउ येमन कइसन ढंग के सगा ल दिहीं अपन बेटी ला।Ó नाना परकार के गोठ बाप-महतारी के हिरदय ल हुद्दा मारय। फेर बड़े भाई सुरेस अउ ललिता के बिचार बढिय़ा जमय। सुरेस ललिता ल धीरज धराय, ढांढस थमाय। काबर के सुरेस ल बिस्वास रिहिस हे उपरवाले ह मानुस जात बर जनम-मरन अउ लगन तय करे हवय। मोरो बहिनी भला कइसे छुंटही ये सब ले। वो बहिनी ल अपन आसा के सुत ल नइ टूटन देवय। आखिर आसा के किरन ललिता के जिनगी मं परिस। आज ललिता के बिहाव होय पांच बरस हो गे। सीधा-सादा मेहनती आदमी (पति) मिलिस अउ अपन पहिली बेटी ‘आसाÓ ल पा के अब्बड़ सुख ललिता हा। दूसरइया के छट्ठी मं सुरेस आय रिहिस। भांचा ल पाय हांसत-हांसत कइथे- ऐकर नांव ‘बिस्वासÓ रखिबे ना ललिता। अब तोर दूझन हो गे आसा अउ बिस्वास।
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