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पहिली छत्तीसगढ़ी बियाकरन लिखइया : हीरालाल काव्योपाध्याय

locationरायपुरPublished: Feb 22, 2019 07:40:01 pm

Submitted by:

Gulal Verma

छत्तीसगढिय़ा सपूत

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पहिली छत्तीसगढ़ी बियाकरन लिखइया : हीरालाल काव्योपाध्याय

हीरालाल ह जब काव्योपाध्याय सम्मान ले सम्मानित होइस तब ले हीरालाल काव्योपाध्याय कहाये लगीस। हीरालाल काव्योपाध्याय ह छत्तीसगढ़ राज्य बर सिरतोन के हीरा आय। जेन ह छत्तीसगढ़ी आखर के लिखई परम्परा म छत्तीसढिय़ा साहित्यकार मन के गौरव ल बढ़ाये हावय।
अट्ठारहवीं सताब्दी म, अंगरेजी मं मेटरिक पढ़ के कतकोझन ह अपन मातरी भासा बर कलम चलइन हे। ऐमा नांव आथे हीरालाल काव्योपाध्याय के। जेन ह हिंदी भासा ले कतको आगु छत्तीसगढ़ी के बियाकरन लिखिस।
1856 मं अवतरे हीरालाल काव्योपाध्याय के छेवर अउ काठी ह कोन दिन-तारीख के होइस तेकर सरेखा कोनो नइ करीन। फेर अतका ल सरी साहित्यकार मन जानथे के वोकर नेक करम बर 11 सितम्बर 1885 म काव्योपाध्याय सम्मान ले सम्मानित होय रिहिस। इही सेती वो खास दिन-दिनांक मं हर बछर वोला सुरता करथन अउ आगु तको सोरियातेत रहिबो।
छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन अउ संवरधन बर हीरालाल काव्योपाध्याय ह माई-मुड़ी आय। येकरे लिखे के बाद कोनो-कोनो अउ कलमकार होइन जेनमन छत्तीसगढ़ी म लिखे बर जोगिन। 1885 ले अबही तक छत्तीसगढ़ी भासा के घातेचझीन मयारू होइन। जेन ल संघरा नइ सोरिया सकन। छत्तीसगढ़ी के जम्मो साहित्यकार, कवि मन ल सोरियाये बर पहाये पाहरो ल हीरालाल काव्योपाध्याय युग ल चार काल म बांट लेथन।
पहिली- छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन काल -1885 ले 1947 तक। दूसरइया- छत्तीसगढ़ी भासा के स्वाधीना काल – 1948 ले 1970 तक। तीसरइया- छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल- 1971 ले 2000 तक। चउथइया- छत्तीसगढ़ी भासा के राज्य गठन काल- 2001 ले अबही तक।
छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन काल- देस के सुराजी ले आगु छत्तीसगढ़ अंचल ह सिरोतन म छत्तीसगढ़ीपन ले सम्हरे रिहिस। चारो मुड़ा ठेठ छत्तीसगढ़ी म गोठिअइया रिहिन, त छत्तीसगढ़ी संस्कीरीति मं जिनगी तको पहइन। भासा संस्कीरीति के सुग्घर रूप वाला ये समय ल जउन कवि, लेखक होइन तउन ह लेखनी म छत्तीसगढ़ी भासा ल बेचाये के बूता करीन। सिलहोये के बूता करीन। इही पाइके 1947 तक ल छत्तीसगढ़ी भासा के संरक्छन काल मान सकथन। ये पइत के लिखइया होइन- पंडित सुकलाल परसाद पांडेय, जगन्नाथ परसाद भानु, बिसाहू राम सोनी, पंडित सुन्दरलाल सरमा।
छत्तीसगढ़ी भासा के स्वाधीनता काल- भारत देस के स्वाधीनता के झेलार ह छत्तीसगढ़ म तको ऊंचिस। स्वंतरता संगराम सेनानी अउ सुराजी के सपना देखइया छत्तीसगढ़ के निवासी मन ह डिह-टोला के मनखे मन म खुसी अउ उच्छाह के जोर ल पठोइन। ये पइत के कवि-लेखक मन ह सुराजी के गीद ल घातेच गुनगुनइन। येकर मनके कलम ह सुराजी सुख के संग देस ल सम्हराये के रचना ल मनमाड़े गढिऩ। सामाजिक बुराई जइसे बाल बिहाव, अंधविस्वास, अउ छुआछूत ले जुड़े समिसया मन ले उबरे के रचना करीन।
छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल- छत्तीसगढ़ी लोक मंच विधा के रूप म नवा सिरिजन होइस हे- चंदैनी गोंदा। 1971 मं होय चंदैनी गोंदा के परदरसन ल कतकोझीन भासा अउ संस्कीरीति के क्षेत्र मं करांति किहिन, त कतकोझीन जागरन काल। ये नवां मंच परस्तुति के सिरजन होय ले छत्तीसगढ़ के सहर-गांव म सैकड़ों छत्तीसगढ़ी लोकमंच के गठन होइस। मंच के संगे-संग सैकड़ों गीतकार अउ नाटक-परहसन के लिखइया होइन। परचार-परसार के सरी माध्यम ह छत्तीसगढ़ी साहित्यकार अउ कलाकार ल मान-सम्मान दे लगीन। इही समय कमलकार ह कवि-लेखक के रूप मं छत्तीसगढ़ी के बिकास बर योगदान दे लगीन। छत्तीसगढ़ी भासा के जागरन काल म सबले जादा कवि-लेखक चिन्हारी होइस हे।
छत्तीसगढ़ी भासा के राज्य गठन काल- 1 नवम्बर 2000 के छत्तीसगढ़ राज्य के गठन होइस। तहां ले भासा ले छेत्र म स्वाभिमान के बइहर ह चारोमुड़ा अपन परभाव देखइस। जुन्ना लिखइया मन जीते-जी छत्तीसगढ़ ल राज्य के रूप मं साक्छात देखिन अउ लिखे बर घातेच जोसियागीन। अइसने नवां लिखइया मन अवतरे लगीन।छत्तीसगढ़ी भासा ल राजभासा बनाये के गोहार अइसे परीस के 1 नवंबर 2007 म साहित्यकार मन के सपना पूरा होगिस।
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