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लोक सिक्छा के व्यापकता अउ परभाव

locationरायपुरPublished: Mar 01, 2019 10:53:00 pm

Submitted by:

Gulal Verma

हमर सिक्छा, हमर बिचार

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लोक सिक्छा के व्यापकता अउ परभाव

सिक्छा के मतलब संस्कार के बिकास अउ बेवहार के परिमार्जन आय। सिक्छा उही ल कहे जाथे जउन ह मनखे ल जीये के सउर देथे, मनखे ल मनखे के पहिचान अउ मनखे ल मनखे होय के अर्थ बताथे। सिक्छा के अर्थ सिरफ औपचरिक नोहय। येमा लोक के सिक्छा ह घलो समाय हावय। पहिली के जमाना म जब कोनो इस्कूल कालेज नइ राहय त सबो मनखे ह संस्कारहीन अउ भोंदू नइ होय। लोक ले सिक्छा पाके अपन जिनगी ल सुग्घर परकार ले जीये। लोक के सिक्छा ल देखे अउ जाने के जरूरत हे। जब हम अपन आसपरोस ल ठीक ढंग ले देखथन त लोक म सिक्छा सर्वत्र दिखथे। लोक के सिक्छा ह बेवहारिक अउ यथार्थ होथे।
पहिली गुरु माता ल कहे गे हे। माता के अचार-बेवहार, गोठ-बात ह लइका बर बड़का सिक्छा होथे। बच्चामन बर मां ह संस्कार के स्रोत होथे। छत्तीसगढ़ म एकठन हाना कहे जाथे- ‘जइसे-जइसे घर दुवार, वइसे-वइसे खैरिपा, जइसे-जइसे दाई-ददा वइसे-वइसे लइका।Ó ये हाना ह अनुभूत गियान आय अउ येकर परतेक्छ परभाव देखे जा सकथे। जेन घर म दाई-ददा जइसे होथे ओइसनेच्च लइकामन के बेवहार बन जाथे। दाई-ददा के बेवहार अउ घर के संस्कार के लइकामन के बिकास म अड़बड़ महत्व होथे। एकर ले इंकर बिकास के दिसा तय होथे।
घर के बाहिर आस-परोस के वातावरन जेला परिवेस कहे जाथे, येहू ह लइकामन के बिकास ल परभावित करथे। आसपरोस के वातावरन लइकामन के गियान निरमान के प्रक्रिया जबर महत्व रखथे। ये तो कहे गे हे जइसे खेती होही ओइसने फसल होही। परती भुइंया म सजोर फसल के आसा नइ करे जा सकय। आसपरोस के वातावरन के गियान ह सही मायने म लोक सिक्छा आय। पास-परोस के मनखे मन के गोठ-बात बेवहार, जीये के तरीका, काम-धंधा, जम्मो म सिक्छा समाय होथे। येकर ले लइकामन सीखथे। लोक के सिक्छा ह संस्कार देथे। नैतिक बिकास के अधार बनथे।
सिक्छा के मतलब कोनो कापी-किताब के ल ही सिक्छा नइ कहे जाय। सिक्छा तो लइकामन के समग्र बिकास के बात होथे। जउन ह ओला जीये बर अधार देथे। अउ ये सिक्छा लोक म ही पाये जा सकथे। अइसे तो इस्कूल मन म नैतिक बिकास, सारीरिक बिका, आध्यात्किम बिका, के सही सिक्छा तो लोक से ही मिलथे। जनम से लेके लइका ह अपन आस-परोस के क्रियाकलाप ले जउन सिक्छा ल पाथे ओहा ओला मजबूत बनाथे।लोक के सिक्छा अउ इस्कूल सिक्छा म गजब अंतर होथे। लोक के सिक्छा ह जतका बेवहारिक होथे, इस्कूल के सिक्छा ह ओतका औपचारिक। औपचारिक सिक्छा ह गियान के बिस्तार तो करथे उही बेवहारिक सिक्छा ह चेतना के बिकास म सहायक होथे अउ ये ह बिसम परिस्थिति म मनखे ल उबारथे। भीमा मल्लाह अउ पंडित के कहिनी ल तो सबो जानथे। पंडित के गियान जिहां औपचारिक अउ पुस्तकी रिहिस उहिच्च भीमा के गियान बेवहारिक। भीमा अपन पारंपरिक गियान ले अपन जिनगी बंचालीस, फेर पंडित ह नदी म बूड़ गे। लोक के सिक्छा अनुभूत अउ स्व-प्रयास ले उपजे गियान होथे। जउन जीवन के लिए उपयोगी होथे। कोनो इस्कूल म हमला तउरना, पेड़ म चढऩा, बात बेवहार करना, समाज म उठना-बइठना, लोक मरयादा के पालन करना ओ ढंग ले नइ सीखोय, जउन ढंग ले हम लोक ले सिखथन। इही ले लोक के सिक्छा के व्यपकता ल समझे अउ गुने जा सकत हे।
आज के पढ़े-लिखे समाज लोक सिक्छा के महत्व ल नइ समझ पावत हे। ये पाय के लइका मन के पास बेवहारिक सिक्छा के अभाव दिखथे। इस्कूली सिक्छा कापी-किताब के गियान तक ठहर गेहे। कापी-किताब म देय गियान ल बेवहार तक नइ उतारे जात हे। इही कारन आज के सिक्छा ह समझ से दूर दिखथे। जउन सिक्छा ह मनखे भीतरी म समझ के बिकास नइ कर सके, ओला का सिक्छा कहे जा सकत हे? ये बात ल सोचे अउ बिचारे के जरूरत हे।
आज के सिक्छा ल समग्र अउ लइका मन म समझ के बिकास करना हे त आज के सिक्छा म लोक के सिक्छा ल समोय के जरूरत हे। अउ ये तब संभव होही जब सिक्छा म लोक के भागीदारी होही। सासन स्तर ले सिक्छा म लोक के भागीदारी के जम्मो परयास करे जात हे। फेर येकर ले लोक ह खुदे नइ जुड़ पात हे। लोक के दुवारा सिक्छा ल सरकारी योजना के भाग समझना सबले खतरनाक बात हे। जब तक सिक्छा ल लइका मन के बिकास के साधन नइ माने जाही, तब तक सिक्छा अधूरा रहिही। पहिली लोक गियान के बढिय़ा माध्यम रिहिस हे। रामायन, गीता के पाठ करना। घर के सियान मन लइका मन ल रामायन-गीता पढ़ के सुनाय अउ ओकर अर्थ के परतीत कराय। लोक कथा लोक सिक्छा के बड़का माध्यम राहय। अब लोक ले रामायन, गीता लोक कथा जम्मो नंदावत जात हे। येकर ले तो सिक्छा मिलना तो दूर लइका मन के मन म बिकरिति समावत हे। कइ ठन सोध- अध्ययन ह ये बात चुके हे कि लइका मन के समय के पहिली जवान होय अउ उंकर भीतर म हिंसात्मक प्रवृत्ति आय के बड़का कारन लइका मन के टीवी ले चिपके रहना आय।
अब आम मनखे ल येकर निरनय खुद करना हे कि उनला अपन लइका ल कोन तरह के सिक्छा देना हे। केवल पुस्तकी गियान या जीवन ल बने ढंग ले जीये के गियान। यदि जीवन के सिक्छा ल आज के सिक्छा म समोना हे त खुद आगू आय बर परही। काबर ये बात आज के जम्मो सिक्छा सास्त्री मन घलो स्वीकारत हे के लइका के गियान के सरोकार ओकर आसपरोस के गियान ले जुड़े हो।

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