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दहेज अउ देखावा ल बंद करे बर चाही

locationरायपुरPublished: Mar 12, 2019 07:25:34 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बिहावमन म रीत-रिवाज अउ परंपरा के नांव म चलत कुरीति अउ कुपरथा ल बंद करे के खच्चित जरूरत हे

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दहेज अउ देखावा ल बंद करे बर चाही

छत्तीसगढ़ म बर बिहाव के रीति-रिवाज ह लोक संस्करीति से मिले-जुले हे। ऐकर सेती इहां के बिहाव के रीत-रिवाज दूसर संस्करीति से अलग हे। इहां बिहाव के अब्बड़ परकार हे। जेमा ठिका, मंझली, बरेंडी अउ आदर्स बिहाव परमुख हें। ठिका बिहाव म दूल्हा ह पागा मउर नइ बांधत रहिस हे। सीधा दुल्हिन के घर जाके सगई करके दुल्हिन ल घर ले आत रिहिस हे। घर लाए के बाद म तेल हरदी चुपरे के नेंग ल करे के परथा होवय। ए सब्बो बूता बर चार ले पांच दिन लग जावय। ए बिहाव ल घर के सियानमन तय करंय। काबर दूल्हा दुल्हिनमन नान-नान रहंय। बिहाव होय के बाद दुल्हिन ल तुरते ससुराल नइ पठोंव। चार पांच बछर बाद जब दूनोंझन बाढ़ जातिन त दुल्हिन ल ससुराल पठोए के परम्परा रिहिस हे।
छत्तीसगढ़ के कोन्टा-कोन्टा म सुग्घर अउ सतरंगी लोक संस्करीति बगरे हे। फेर, बिहावमन म रीत-रिवाज अउ परंपरा के नांव म चलत कुरीति अउ कुपरथा ल बंद करे के खच्चित जरूरत हे। बाल बिहाव, दहेज परथा, फिजूलखरचा अउ देखावा करई बंद होय बर चाही।

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